भोपा। यूपी में मथुरा के बाद यदि किसी जगह का पेड़ा प्रसिद्ध है तो वह है मुजफ्फरनगर के भोपा थानाक्षेत्र का सीकरी गांव। यहां आसपास के क्षेत्र के साथ-साथ देश-विदेशों में भी सीकरी के पेड़े प्रसिद्ध हैं। यहां से प्रतिदिन कई क्विंटल पेड़े की बिक्री होती है। इस कार्य में एक ही परिवार की तीसरी पीढ़ी लगी हुई है। अमेरिका, पाकिस्तान, सऊदी तक सीकरी के पेड़े की पहचान है। क्षेत्र के आम लोगों की जुबान पर भी सीकरी के पेड़े की तारीफ रहती हैं।

भोपा से लगभग 12 किलोमीटर की दूर मुख्य मार्ग से दूर बसा सीकरी गांव पेड़े की वजह से जाना जाता है। वैसे तो सीकरी में पेड़ा विक्रेता की कई दुकानें हैं, लेकिन लगभग 80 – 90 वर्ष पहले इस कार्य को शुरू करने वाले एक परिवार की तीसरी पीढ़ी इस कार्य में लगी हुई है।

सीकरी के प्रसिद्ध पेड़ा व्यापारी दिलशाद पुत्र गुलाम नबी ने बताया कि गांव में सबसे पहले पेड़ा बनाने का कार्य उनके दादा गुलाम रब्बानी द्वारा प्रारंभ किया गया था। थोड़ी उम्र में उनके पिता गुलाम नबी ने इस कार्य को खुद थाम लिया था। उसी समय से उनकी मेहनत के बदौलत यह पेड़ा सीकरी के पेड़ा के नाम से देश विदेश में मशहूर हो गया था। आज भी प्रतिदिन अनेकों लोग अन्य प्रांतों व विदेश भेजने के नाम पर सीकरी से पेड़ा खरीद कर ले जाते हैं।

दिलशाद ने बताया कि 30 साल पहले उनके पिता गुलाम नबी का इंतकाल हो गया था। उसके बाद से हम इस कारोबार को संभाल रहे हैं। दिलशाद के दो और भाई शफात नबी व जब्बार भी गांव में ही पेड़े बनाने और बेचने का कार्य करते हैं। साथ ही अन्य कुछ लोगों के साथ ही गांव में लगभग आधा दर्जन पेड़ा की दुकान खुली हुई है।

ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में आने वाले राजनीतिक, अराजनीतिक, अधिकारी आदि से जब लोग मुलाकात करते हैं तो उन्हें कुछ लोगों द्वारा सीकरी का पेड़ा भेंट किया जाता है। दिलशाद ने यह भी बताया कि उनके द्वारा तैयार किए गए पेड़े की कीमत 280 रुपये प्रति किलो से लेकर 360 रुपये प्रति किलो तक है। इनमें शुद्धता व गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाता है।

विशेषता:- पेड़ा तैयार करने से पहले बर्तनों को ठीक प्रकार से साफ कर लिया जाता है। गांव दर गांव से दूध खरीद कर उसे धीमी आंच में कढ़ाई में काफी समय तक इतना पका दिया जाता है कि वह काफी कम मात्रा में रह जाता है, साथ ही उसका रंग ब्राउन हो जाता है। इसके बाद उसमें मीठा करने के लिए बूरा मिलाया जाता है। उसे इस प्रकार से तैयार किया जाता है कि पेड़ा मीठा होने के साथ-साथ उससे हल्का खट्टापन का स्वाद भी मिलता है। पेड़ा विक्रेता दिलशाद, सफात नबी जब्बार मुन्ना ने बताया कि शुगर की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए पेड़े अलग से तैयार किया जाता है। इसमें दूध में मीठे का प्रयोग कम मात्रा में किया जाता है।

सीकरी गांव में किसी भी वर्ग के लोगों में जब कोई मेहमान आता है तो उसके खातिरदारी के लिए सबसे पहले उसके सामने पेड़ा परोसा जाता है, इसके बाद ही अन्य कोई चीज खाने के लिए पेश की जाती है सीकरी प्रधान के पति इरफान उर्फ अप्पी प्रधान ने बताया कि सीकरी में उर्स मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं। उस समय यहां पेड़े की मांग कहीं अधिक बढ़ जाती है और दूरदराज से आने वाला हर श्रद्धालु सीकरी का पेड़ा लेकर जाता है।