मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में पिटाई प्रकरण में दो सभासदों के खिलाफ एससी/एसटी जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही मान-सम्मान के लिए नौकरी दांव पर लगाने का दावा करने वाले डा. अतुल कुमार के समझौते के बाद भी मामला शांत नहीं हुआ है। अब जिले के एक बड़े अफसर की सनसनीखेज चिट्ठी ने इस मामले में नया मोड़ ला दिया है। वहीं पुलिस भी इस प्रकरण का पटाक्षेप कराने को तैयार नजर नहीं आ रही है। इस बड़े अफसर ने चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल और उनके स्टेनो के आचरण को लेकर बेहद सख्त और तीखी टिप्पणी करते हुए अपने मातहतों को इस प्रकरण में सतर्कता बरतने और कड़ी निगरानी के आदेश दिये। साथ ही अफसर ने पालिका में उठ रहे सारे विवादों की जड़ चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल का बताते हुए यह भी संकेत किया है कि इस पिटाई प्रकरण की पटकथा चेयरपर्सन के स्टेनो द्वारा लिखी गई। अफसर की यह चिट्ठी पालिका में नई सनसनी का कारण बनी हुई है।

एक नवंबर 2021 को हुई पालिका बोर्ड बैठक में सफाई कर्मचारियों को रखने के प्रस्ताव संख्या 484 पर चर्चा के दौरान सभासद प्रवीण पीटर की बैठक में मौजूद स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुल के साथ बहस के बाद हाथापाई का प्रकरण सुलह समझौते के बाद भले ही ठण्डा मान लिया गया हो, लेकिन इस प्रकरण में दबी चिंगारी के कारण गरमाहट बनी है। यह चिंगारी अंदरूनी तौर पर सुलगते हुए सनसनी फैला रही है। इस मामले में एक बड़े अफसर की चिट्ठी का हल्ला मच रहा है। एसटी-1913 नम्बर वाली यह चिट्ठी पूरी तरह से चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल और उनके समर्थक सभासदों तथा स्टेनो गोपाल त्यागी के खिलाफ बताई जा रही है। इस सनसनीखेज चिट्ठी में पालिका में चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल के भाजपा में जाने को लेकर भी तल्ख टिप्पणी की गई है। पालिका बोर्ड मीटिंग में स्वास्थ्य अधिकारी के साथ अभद्रता का मामला बन जाने के बाद बोर्ड मीटिंग में ही आरोपी सभासद प्रवीण पीटर द्वारा सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त कर दिया गया, तो लोगों ने माना कि यह मामला निपट गया, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुल कुमार ने उसी दिन दोपहर बाद शहर कोतवाली में पहुंचकर सभासद प्रवीण पीटर और भाजपा नेता व सभासद विपुल भटनागर के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट सहित अन्य संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया था। इसमें पुलिस ने सभासद प्रवीण पीटर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बाद में चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल के आवास पर डा. अतुल कुमार ने सभासदों की मौजूदगी में समझौता कर लिया, लेकिन इसके बाद भी यह प्रकरण गरमाहट में बना हुआ है।

इस मामले में जिस दिन चेयरपर्सन ने डा. अतुल को बोर्ड मीटिंग में पारित प्रस्ताव संख्या 523 पर अमल करते हुए पालिका के नगर स्वास्थ्य अधिकारी पद से कार्यमुक्त किया था, उसी दिन जिले के एक बड़े अफसर ने अपने मातहतों को एक चिट्ठी भेजी। इस चिट्ठी से सनसनी बनी हुई है। इसमें अफसर ने पूरी तरह से पिटाई प्रकरण के लिए चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल और उनके स्टेनो गोपाल त्यागी की भूमिका को बेहद संदिग्ध तरीके से पेश किया गया है। अफसर ने इस मामले को पालिका में हुई गारबेज टीपर वाहन खरीद के तथाकथित घोटाले में दर्ज एफआईआर से भी जोड़ा है। इसके साथ ही अफसर ने यह भी दावा किया कि उनकी जानकारी में यह आया है कि नगरपालिका में कुछ कार्य बिना टैण्डर के ही कराये गये हैं, जिनके बिलों पर हस्ताक्षर करने से इंकार करने के कारण ही स्वास्थ्य अधिकारी डा. अतुल कुमार के खिलाफ चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल, उनके कुछ समर्थक सभासदों और पालिका के स्टेनो गोपाल त्यागी द्वारा सभासद प्रवीण कुमार पीटर को उकसा कर डा. अतुल कुमार के साथ घटना कराई गई है। साथ ही अफसर ने चेयरपर्सन के द्वारा डा. अतुल को कार्यमुक्त करने के लिए जारी आदेश को पालिका में तनाव फैलाने वाला बताते हुए यह भी उल्लेख किया है कि पालिका में इस पिटाई प्रकरण में चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल की भूमिका संदेह से परिपूर्ण है। अफसर ने अपनी चिट्ठी में यह भी टिप्पणी की है कि पालिका में सारे विवादों की जड़ चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ही हैं। अफसर ने यह भी कहा कि पालिका में किये गये अपने घोटालों को दबाने और छिपाने के लिए ही अंजू अग्रवाल ने पिछले दिनों कांग्रेस को छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। अफसर की चिट्ठी पालिका में हलचल मचाये हुए हैं। हालांकि यह चिट्ठी अफसर ने केवल अपने मातहत चंद अफसरों को ही लिखी है, लेकिन यह चिट्ठी ठण्डे दिखाई दे रहे इस प्रकरण को और सुलगाने का काम कर रही है।

नगरपालिका परिषद् के पिटाई प्रकरण में अफसर की चिट्ठी में जहां चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल, सभासद पीटर और स्टेनो गोपाल त्यागी के बारे में बेहद सख्त टिप्पणी की गई है। प्रवीण पीटर के आपराधिक इतिहास की भी जानकारी देने से गुरेज नहीं किया गया, उनको जेल भेजने का भी उल्लेख किया गया है, वहीं इस मुकदमे के दूसरे आरोपी सभासद विपुल भटनागर का नाम तक भी नहीं लिखा गया है। सूत्रों का कहना है कि इस अफसर की चिट्ठी में विपुल भटनागर का कोई भी जिक्र नहीं है। चिट्ठी में स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा दर्ज कराये गये मुकदमे की जानकारी भी दी गई है। जबकि पीटर के साथ ही स्वास्थ्य अधिकारी ने विपुल भटनागर को भी नामजद कराया गया। उनकी आज तक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। यह साबित करता है कि लोगों के बीच विपुल को छेड़ना नहीं, पीटर को छोड़ना नहीं वाली जो चर्चा पुलिस को लेकर चल रही है, वह सही है।
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