मुजफ्फरनगर। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मुजफ्फरनगर थप्पड़ कांड के पीड़ित मुस्लिम बच्चे की शिक्षा के खर्च को वहन करने के लिए प्रायोजक खोजने का आदेश दिया। इसका वीडियो गत वर्ष अगस्त में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें मुजफ्फरनगर में एक प्राथमिक विद्यालय की एक शिक्षिका की ओर से स्कूली बच्चों को अपने मुस्लिम सहपाठी को थप्पड़ मारने का आदेश देते हुए देखा जा सकता है।
मामले में याचिका महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने दायर की थी, जिस पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही है। याचिका में मुस्लिम छात्र को थप्पड़ मारने के लिए उकसाने के लिए स्कूल शिक्षिका त्रिप्ता त्यागी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चा उसी स्कूल में पढ़ता रहे। बच्चे की पढ़ाई का खर्च उसकी स्कूली शिक्षा पूरी होने तक उठाया जाना चाहिए। इसके लिए राज्य को एक प्रायोजक की व्यवस्था करनी होगी।
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि एक एनजीओ खर्च उठाने के लिए आगे आया है। इस पर पीठ ने कहा, यह वास्तव में अस्पष्ट है। किसी को आगे आकर कहना चाहिए कि वे स्कूली शिक्षा समाप्त होने तक बच्चे के पूरे खर्च का ध्यान रखेंगे। यह तरीका नहीं है। इससे उद्देश्य पूरा नहीं होगा। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर को तय की है, तारीख पर राज्य सरकार को प्रायोजक के बारे में ठोस जानकारी देनी होगी।
बीएसए संदीप कुमार चौहान ने बताया कि शारदेन स्कूल में पढाई के लिए विभाग को शुल्क देना पड़ रहा है। विभाग ही छात्र की पढ़ाई और परिवहन का खर्च उठा रहा है। अब सैयद मुर्तजा मेमोरियल ट्रस्ट आगे आई। उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने कुछ नियम व शर्तों के आधार पर पीड़ित छात्र की मदद करने के लिए कहा। इन सभी नियम व शर्तों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए है कि पीड़ित छात्र की पढ़ाई के लिए स्थायी व्यवस्था की जाए। ट्रस्ट के पदाधिकारियों से बातचीत करेंगे। पीड़ित छात्र की पढ़ाई की स्थायी व्यवस्था कराई जाएगी। फिलहाल छात्र शारदेन स्कूल में कक्षा तीन की पढ़ाई कर रहा है।
बीएसए ने बताया कि पीड़ित छात्र के खर्च के लिए ट्रस्ट ने कुछ शर्तें व नियम रखे हैं। ट्रस्ट के सचिव सलमान सैय्यद ने पत्र में लिखा था कि वह पीड़ित छात्र की संतोषजनक शैक्षणिक प्रगति के आधार पर इस वर्ष के लिए उसके शैक्षिक खर्चों को प्रायोजित करने के लिए इच्छुक है। यदि उसका शैक्षणिक प्रदर्शन अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं रहा, तो अगले वर्षों के लिए अपने प्रायोजन पर पुनर्विचार करेंगे।
पीड़ित छात्र के पिता इरशाद ने बताया कि ग्रीष्मकालीन छुट्टियों से पहले का परिवहन खर्च मिल चुका है। उनका 20 दिन का चार हजार रुपये खर्च रुका हुआ था। 20 जुलाई को बीएसए कार्यालय में दो हजार रुपये दिए गए थे। इसके बाद 25 जुलाई को खंड शिक्षा अधिकारी शाहपुर संजय भारती ने उन्हें दो हजार रुपये दिए है। अब जुलाई माह का खर्च महीना समाप्त होने पर दिया जाएगा।
खुब्बापुर गांव के स्कूल में शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने पांच का पहाड़ा नहीं सुनाने पर अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र की सहपाठियों से पिटाई करा दी थी। इसी दौरान जातीय टिप्पणी का भी आरोप है। प्रकरण के दौरान पीड़ित छात्र के चचेरे भाई ने वीडियो बना लिया। वीडियो के वायरल होते ही प्रतिक्रियाएं आने लगीं और शिक्षिका की गिरफ्तार करने की मांग उठने लगी। आरोपी शिक्षिका पर एफआईआर दर्ज हो गई थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसकी सुनवाई दो सितंबर को होगी।