मुजफ़्फरनगर। नगरपालिका की राजनीति में एसएसपी अभिषेक यादव द्वारा जारी किए गए एक पत्र ने हलचल मचा दी है। पत्र में सीधे-सीधे पालिका चेयरपर्सन पर घोटालों में फंसने के डर से कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने का जिक्र किया गया है। वहीं, सीओ, थाना पुलिस व एलआईयू को इस प्रकरण में अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए। हालांकि, मामले में समझौता होने के बाद बैकफुट पर आए कप्तान ने इस पत्र से किनारा कर लिया है।

गत एक नवंबर की नगरपालिका की बोर्ड बैठक में नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अतुल कुमार के साथ सभासद प्रवीण पीटर द्वारा की गई मारपीट और उसके बाद गरमाई पालिका की राजनीति पर एसएसपी अभिषेक यादव ने क्षेत्राधिकारी नगर और शहर कोतवाली को नौ नवंबर को एक पत्र जारी किया। इस पत्र की भाषा ने नगर पालिका की राजनीति को एक बार फिर गरमाहट दे दी है। पत्र में घटना का जिक्र करते हुए राजनीतिक बातें लिखी गई है। इनमें मुख्य रूप से जो बात लिखी गई वह यह है कि ‘सभासद प्रवीण पीटर को आशु लिपिक और चेयरपर्सन के स्टेनो गोपाल त्यागी ने मारपीट के लिए उकसाया’। पत्र में कहा गया कि ‘पालिका के घोटालों और विवादों में चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल की संलिप्तता है। बचने के लिए कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुई है’। पत्र में बाकी भाषा कानून व्यवस्था के लिए पुलिस को चौकन्ना रहने की है। पत्र में पुलिस को निर्देश देने के साथ राजनीतिक भाषा का प्रयोग करने से सवाल खड़े हो गए हैं।

विपुल भटनागर का कोई जिक्र नहीं
एसएसपी ने जो पत्र जारी किया है उसमें केवल प्रवीण पीटर को ही आरोपी माना गया है, जबकि नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने दो सभासदों प्रवीण पीटर और विपुल भटनागर पर मुकदमा दर्ज कराया था। एसएसपी के इस पत्र में विपुल भटनागर का जिक्र नहीं किया गया है।

पत्र हमारा, भाषा हमारी नहीं
एसएसपी अभिषेक यादव का इस मामले में कहना है कि पत्र जारी तो हमने ही किया है, लेकिन इसमें लिखी गई भाषा हमारी नहीं है। कोई शिकायत आई थी, उसी को आधार बनाकर अधीनस्थ अफसरों को जांच के लिए लिखा गया था।

झुकने-डरने वाली नहीं: अंजू
चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल का कहना है कि चार साल से वह विकास के कार्यो में लगी है। कुछ लोग ताकत का गलत इस्तेमाल कर मुझे परेशान करने का काम कर रहे हैं। वरिष्ठ अफसर द्वारा जारी पत्र में राजनैतिक आरोप लगाया जाना आश्चर्यजनक है। मैंने कोई भ्रष्टाचार नहीं किया है। जो मुझे बदनाम करना चाहते हैं, जनता उनका सच जानती है।
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