बागपत। दुकानों पर स्कैनर लगाकर ठगी करने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। जिन्होंने स्कैनर लगाने के बहाने दुकानदारों का मोबाइल लेकर फर्जी आधार, पैनकार्ड से ऑनलाइन खाता खोलकर लोन भी लिया और दुकानों पर लगाए स्कैनर को अपने खाते से जोड़कर भी ठगी की।
काठा गांव के दुकानदार आसिफ और पुराना कस्बा निवासी सतीश ने दो अगस्त को कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया। दोनों ने बताया कि उनकी दुकान पर स्कैनर लगाने के लिए कुछ युवक आए और पेटीएम की केवाईसी के बहाने उनका मोबाइल लिया। जिन्होंने ऑनलाइन कोटक बैंक में खाता खोलकर अपना फर्जी नंबर लिंक कर लिया। इसके बाद पेटीएम से फर्जी तरीके से आसिफ के नाम पर 2.60 लाख और सतीश के नाम पर 3.60 लाख रुपये का लोन ले लिया। मुकदमा दर्ज करने के बाद साइबर थाना पुलिस की टीम जांच में जुट गई।
जिन्होंने इकरामुल हक उर्फ राजा निवासी दौलतपुर पावी सादकपुर जिला गाजियाबाद, मोहम्मद अजीज निवासी खैराबाद जनपद सीतापुर और हाल निवासी संगम विहार वजीराबाद दिल्ली और लक्ष्य निवासी पटेल मार्ग निकट रोहन मोटर्स गाजियाबाद को गिरफ्तार किया। जिनके पास से लोन की रकम के 48 हजार 40 रुपये और तीन मोबाइल, आठ डेबिट कार्ड, दो फिंगर स्कैनिंग डिवाइस, तीन फर्जी आधार कार्ड, दो फर्जी पेनकार्ड, पेटीएम कंपनी के दो आईकार्ड, कोटक बैंक का एक आईकार्ड, 12 फर्जी मोबाइल सिमकार्ड, 51 प्लास्टिक के चिपकाने वाले क्यूआर काेड स्कैनर, पेटीएम साउंड बाॅक्स मशीन और एक बैग बरामद किया गया।
एएसपी एनपी सिंह ने बताया कि गिरफ्तार किए गए ठग कम पढ़े लिखे दुकानदारों को निशाना बनाते हैं। जो दुकानदारों के मोबाइल से ऑनलाइन खाते खोलकर लोन लेने के साथ दुकानों पर लगाए गए क्यूआर कोड अपने नंबर से जोड़कर ठगी करते थे। जिन्होंने दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ समेत अन्य जगहों पर दुकानदारों से ठगी की जानकारी दी। पूछताछ के बाद तीनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया।
एएसपी ने बताया कि आरोपी मोहम्मद अजीज 9वीं पास है, जिसके पिता सऊदी अरब में गाड़ी के मैकेनिक हैं। जबकि लक्ष्य और इकरामुल हक उर्फ राजा 12वीं पास है। उनके गिरोह में पिलखुवा का एक कम्प्यूटर केंद्र संचालक भी शामिल है, जो फर्जी आधार और पैनकार्ड तैयार करता था। पुलिस ने इस मामले में भी जांच शुरू कर दी।
एएसपी ने बताया कि गिरोह में शामिल अजीज दुकानदारों के पास फोन कर महिला की आवाज में बात करता था। उससे थोड़ी जानकारी लेकर दुकान पर पहुंच जाते और फिर बैंक खाते की ऑनलाइन ई-केवाइसी करने के बहाने मोबाइल, आधार कार्ड, पैनकार्ड लेकर फर्जी आधार और पैनकार्ड से बायोमेट्रिक मशीन में अंगूठा लगवाकर ऑनलाइन खाता खोल लेते थे। साथ अपना फर्जी मोबाइल नंबर दुकानदार के खाते से जोड़कर पेटीएम कार्ड बदल देते थे। साथ ही अपने नंबर से जुड़ा स्कैनर कोड भी दुकान पर चस्पा कर देते थे। फर्जी आधार और पैनकार्ड से लिए गए लोन की रकम नेट बैंकिंग से अपने खातों में ट्रांसफर कर बांट लेते थे।