सहारनपुर में जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल में तीमारदारों के लिए पांच रैन बसेरों की व्यवस्था तो है, मगर अधिकारियों की लापरवाही के चलते एक भी रैन बसेरे में व्यवस्था अच्छी नहीं है। अमर उजाला ने बुधवार की रात दोनों अस्पतालों में जाकर रैन बसेरों की व्यवस्थाओं की पड़ताल की। रैन बसेरों में तो सन्नाटा पसरा मिला, जबकि तीमारदार ठंड भरी रात में फर्श पर सोते मिले। कुछ लोग पर्ची काउंटर के सामने लेटे नजर आए। पेश है रिपोर्ट...

एसबीडी जिला अस्पताल में इमरजेंसी वार्ड के बाहर रैन बसेरा बना है। यहां नौ बेड डाले गए हैं। रात दस बजे बेड पर गद्दे और चादरें बिछी मिलीं, मगर ओढ़ने के लिए कंबल नहीं थे। ऐसे में तीन ही बेड पर लोग मिले, वह भी अपने कंबल और चादर लिए थे। शेष बेड खाली रहे।

एसबीडी जिला अस्पताल में सर्जिकल वार्ड के सामने रैन बसेरा बना हुआ है। लाइट की व्यवस्था नहीं होने की वजह से रैन बसेरे में अंधेरा छाया हुआ मिला। चार बेड पड़े मिले, जिन पर धूल चढ़ी हुई है। शौचालय का दरवाजा टूटा मिला तथा भीतर कचरा भरा हुआ था। वार्ड में भर्ती मरीजों के तीमारदार बरामदे में फर्श पर सोते मिले।

हड्डी वार्ड के सामने भी एक रैन बसेरा बना हुआ था, जिसके भीतर अस्पताल प्रशासन ने ऑक्सीजन प्लांट फिट करा दिया है। ऐसे में तीमारदार वार्ड के बाहर बरामदे में लेटे नजर आए।
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जिला महिला अस्पताल में पुरानी बिल्डिंग के ठीक सामने रैन बसेरा बना हुआ है, मगर अस्पताल प्रशासन ने उसके फ्रंट को ऑक्सीजन प्लांट से ढक दिया है। रैन बसेरे में तीन बेड पड़े मिले, जिन पर गद्दा और चादर तक नहीं थी। इसकी वजह से सन्नाटा पसरा नजर आया। रैन बसेरा ऑक्सीजन प्लांट के पीछे होने की वजह से वहां महिलाओं की सुरक्षा नहीं रह गई है।

जिला महिला अस्पताल में वार्ड के सामने एक रैन बसेरा बना है, जो चारों ओर से अच्छे से कवर किया गया है, मगर रैन बसेरे के भीतर कोई बेड नहीं मिला। चारों ओर बैठने के लिए सीमेंट के स्लैब बनाए गए हैं, जिन पर सो पाना मुश्किल है। ऐसे में रैन बसेरे में सन्नाटा और महिलाएं बाहर फर्श पर सोती नजर आईं।
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रैन बसेरे तीमारदारों की सुविधा के लिए बने हैं। यदि उनमें बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं तो यह गंभीर मामला है। दोनों अस्पतालों के जिम्मेदार अधिकारियों को पत्र लिखकर व्यवस्था कराने के निर्देश दिए जाएंगे। – डॉ. संजीव मांगलिक, सीएमओ
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