मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर शहर कोतवाली क्षेत्र के रामपुरी में 13 साल पहले चार बच्चों को जहर देकर मौत की नींद सुलाने और फिर आत्महत्या करने वाले विजय फौजी प्रकरण में दोनों आरोपी दोषमुक्त करार दिए गए। एडीजे फास्ट ट्रैक कोर्ट संख्या-2 की पीठासीन अधिकारी नेहा गर्ग ने फैसला सुनाया।

शहर कोतवाली में तैनात रहे एसआई रणवीर सिंह तोमर ने 11 फरवरी 2011 को मुकदमा दर्ज कराया था। वादी का कहना था कि विजय फौजी ने अपनी बेटी स्वाति, श्वेता, बेटे सूर्यांश और शशांक को जहरीला पदार्थ खिलाकर हत्या कर दी थी। इसके बाद खुद भी जहरीला पदार्थ का सेवन कर जान दे दी थी। फौजी ने डीएम और एसएसपी के नाम 16 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसके आधार पर आरोपी जनकपुरी निवासी प्रशांत उर्फ बॉबी, छपार के रेत्ता नंगला निवासी गजेंद्र के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। अभियोजन पक्ष अदालत में प्रकरण को साबित नहीं कर पाया। साक्ष्य के अभाव में दोनों आरोपी दोषमुक्त करार दिए गए।

वरिष्ठ अधिवक्ता परंजय चौहान ने बताया कि उन्होंने आरोपियों के बचाव में न्यायालय में कई तर्क रखे। उन्होंने बताया कि उक्त मामला 5 मृतकों से संबंधित था। विवेचना के दौरान घटनास्थल से चार बच्चों के शव दर्शाए गए हैं, लेकिन इन बच्चों के शव का कोई पंचनामा नहीं भरा गया है और न ही विवेचक ने यह बताया कि चारों बच्चों के शव कहां गए। यह भी तर्क दिया कि पुलिस ने विवेचना में जो कॉल डिटेल प्रशांत और गजेंद्र की दाखिल की थी, उसमें गजेंद्र का फोटो, पता की प्रमाणित प्रति नहीं थी और न ही अदालत में साबित की गई। मृतक विजय द्वारा जो सुसाइड नोट लिखा गया था, उसके लेख की प्रमाणिकता में विवेचक ने कोई ठोस सबूत प्रस्तुत नहीं किया।