मुज़फ्फरनगर : सतेंद्र मोटा और मोनू की हत्या में बरी हुए विनोद बावला का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है। उसका जीवन किसी फिल्मी कहानी के जैसा है।
विनोद बावला करीब 20 साल तक पुलिस को छकाए रखा था। लग्जरी गाड़ियों से कोई वास्ता नहीं, बदन पर साधारण से कपड़े और शहर से दूरी के कारण उसे पकड़ना आसान नहीं था। वह जंगलों में ही रहता था और वहां भी ठिकाना बदलता रहता था।
बावला को अपने ही गांव के सतेंद्र मोटा से रंजिश थी। बावला पर आरोप लगा कि उसने सतेंद्र मोटा के तीन भाइयों को मौत के घाट उतार दिया। सतेंद्र मोटा ने कई बार बावला का पता पुलिस को बताया, लेकिन वह हर बार हाथ से निकल जाता था।
आरोप है कि विनोद बावला ने सतेंद्र मोटा को मारने की बहुत कोशिश की, मगर वह चौकस रहता था। एक बार बावला ने मोटा को दिल्ली पुलिस का सिपाही बताकर फोन कराया। कहा कि तुम्हारे बगल वाले खेत में बम से भरा थैला दबा है, जिसका इस्तेमाल तुम्हें मारने के लिए किया जाएगा। मोटा बिना कुछ सोचे समझे अपने साथी मोनू को लेकर बताई गई जगह पर पहुंच गया। जैसे ही गड्ढा खोदकर बैग निकाला, तो उसमें रखा बम फट गया। मोटा और मोनू की मौत हो गई। इसके बाद से तो जैसे आसपास के क्षेत्र में बावला का आतंक हो गया था।
बावला हमेशा जंगलों में ही अपने एक दर्जन शूटरों के साथ रहता था। वह कभी किसी गांव में जाकर भी शरण ले लेता था, तो घर के सारे मोबाइल अपने कब्जे में ले लेता था।
ग्रेटर नोएडा में जमीन के विवाद में विनोद बावला के मां-बाप की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद उसने जुर्म की दुनिया में कदम रखा था। उसने अपना खुद का गैंग बना लिया।
मुजफ्फरनगर में 1989 में विनोद और उसके साथियों पर सात लोगों की हत्या का आरोप लगा। 2005 में मुजफ्फरनगर में दो लोगों की दिनदहाडे़ हत्या का आरोप लगा। 2009 में बरवाला गांव में सतेंद्र और मोनू की मौत हुई थी, इसका इल्जाम भी उसी पर लगा। पुलिस की मानें तो वह 2005 के बाद नेपाल, मध्यप्रदेश, गुजरात, यूपी आदि राज्यों में पुलिस से छुपता रहा।
तत्कालीन एसपी देहात डॉ. बृजेश कुमार सिंह ने बताया था कि जमीन के विवाद में 1984 में बरवाला गांव के सतेंद्र ने विनोद के पिता राजपाल और मां की हत्या कर दी थी। विनोद का आपराधिक सफर इसके बाद शुरू हो गया था। 1986 में पहली बार उसके खिलाफ मारपीट का मामला मुजफ्फरनगर के शाहपुर थाने में दर्ज हुआ था। 1989 में सात मर्डर करने के बाद यह कुख्यात अपराधी बन गया। फिर धन कमाने के लिए फिरौती के धंधे में उतर गया। पुलिस की मानें तो विनोद 15 से अधिक मर्डर का आरोप लगा। हालांकि ज्यादातर केस में वह बरी हो गया। इस अदालत ने उसे मोटा और मोनू की हत्या के आरोपों से भी बरी कर दिया। दो दिन पहले ही वह हाईकोर्ट से जमानत लेकर जेल से बाहर आ गया था।