मुज़फ्फरनगर। मीरापुर से टिकट के लिए 25 से अधिक भाजपा और रालोद नेताओं के बीच दावेदारी की जंग चल रही थी। लेकिन डा. संजीव बालियान ने ऐसा जोर लगाया कि मिथलेश पाल को टिकट मिल गया।

मीरापुर उपचुनाव के टिकट को लेकर भाजपा-रालोद गठबंधन के दिग्गज नेताओं के बीच खूब टकराव हुआ। रालोद की अंतरकलह से टिकट छिटककर भाजपा के खेमे में पहुंचा। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान ने लखनऊ से दिल्ली तक पूर्व विधायक मिथलेश पाल की पैरवी की। बड़ी वजह यह भी है कि लोकसभा चुनाव में पूर्व विधायक खेमेबंदी से दूर रहीं, जिससे मीरापुर के टिकट की राह आसान हो गई।

मीरापुर सीट के टिकट के लिए 25 से अधिक भाजपा और रालोद नेताओं के बीच दावेदारी थी। लेकिन बाजी पूर्व विधायक मिथलेश पाल के हाथ लगी। लोकसभा चुनाव में पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान की हार के बाद से गठबंधन में सियासी कद की लड़ाई भी चल रही है। लोकसभा चुनाव में हुई खेमेबंदी का नुकसान भाजपा प्रत्याशी को उठाना पड़ा था। भाजपा और रालोद के कई बड़े नेताओं के नाम भितरघात की चर्चा में शामिल रहे।

पहले गन्ना समिति के चुनाव में बालियान ने पैनल तैयार कराकर भाजपा को जीत दिलाई। छह समितियों पर निर्विरोध सभापति चुने गए। इसके बाद मीरापुर उपचुनाव के टिकट पर जोर आजमाइश में भी पूर्व मंत्री बालियान अब मिथलेश पाल को टिकट दिलाने में कामयाब हो गए हैं।

मीरापुर उपचुनाव के टिकट की दौड़ में रालोद से यशिका चौहान, पूर्व जिलाध्यक्ष अजित राठी, रालोद जिलाध्यक्ष संदीप मलिक, संजय राठी, पूर्व विधायक नवाजिश आलम खान के नाम चर्चा में थे। रालोद अध्यक्ष से मुलाकात कर रालोद नेताओं ने एक-दूसरे के टिकट पर शर्तें और शिकायतें की। पूर्व सांसद राजपाल सैनी का नाम चर्चा में आते ही भाजपा और रालोद नेताओं ने मोर्चा खोल दिया। यही वजह है कि टिकट की दौड़ में सबसे आगे होने के बावजूद उनका नाम पीछे चला गया।

इस तरह बढ़ता गया मिथलेश पाल का सियासी कद
– 1995 और 2000 में वह जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं
– 2003 में रालोद से शहर पालिकाध्यक्ष पद का चुनाव लड़ीं
– 2009 में मोरना से उपचुनाव जीतकर विधायक चुनी गईं
– 2012 में मीरापुर, 2016 में सदर सीट का उपचुनाव लड़ा
– 2017 में मीरापुर से रालोद के टिकट पर 22751 वोट हासिल किए
– 2017 में सपा के टिकट पर शहर पालिकाध्यक्ष का चुनाव लड़ा
– 2022 के विधानसभा चुनाव के समय भाजपा में शामिल हुईं