मुज़फ्फरनगर । मीरापुर उपचुनाव के बीच सियासी सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के राजनीति में हलचल मचाने वाली पूर्व मंत्री अनुराधा चाैधरी 13 साल बाद मुजफ्फरनगर में रालोद कार्यालय में पहुंची। यहां उन्होंने पुराने सहयोगियों और नेताओं से भी बातचीत की।
पश्चिम यूपी की सियासत में कभी हलचल पैदा कर देने वाली पूर्व मंत्री अनुराधा चौधरी करीब 13 साल बाद रालोद कार्यालय पहुंची। पुराने सहयोगियों और अन्य नेताओं से बातचीत की। इस दौरान रालोद विधानमंडल दल के नेता राजपाल बालियान के साथ वह बातचीत करती नजर आई।
सरकुलर रोड स्थित कार्यालय पर मीरापुर उपचुनाव के नामांकन से पहले प्रत्याशी मिथलेश पाल के समर्थन में भाजपा-रालोद के नेता जुटे। इनमें पूर्व मंत्री अनुराधा चौधरी भी शामिल रहीं।
साल 2002 में अनुराधा चौधरी रालोद के टिकट पर बघरा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंची थी। समाजवादी पार्टी के उदयपाल को हार का सामना करना पड़ा था। प्रदेश सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया।
लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव में कैराना सीट से जीतकर वह सांसद बन गईं। बघरा में उपचुनाव हुआ तो परमजीत मलिक चरथावल के वर्तमान विधायक पंकज मलिक को हरा दिया था।
2009 में भाजपा-रालोद गठबंधन हुआ। अनुराधा ने मुजफ्फरनगर सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन बसपा के कादिर राना के सामने वह हार गई थी। साल 2011 आते-आते दिवंगत चौधरी अजित सिंह की कांग्रेस से नजदीकियां बढ़ी और बाद में वह केंद्र सरकार का हिस्सा बन गए।
2012 में सूबे में सपा की सरकार बनने के बाद अनुराधा चौधरी रालोद से सपा में शामिल हो गई। उनका बिजनौर से टिकट भी तय हो गया था, लेकिन सपा के स्थानीय नेताओं के हस्तक्षेप के कारण टिकट काट दिया गया। यही वजह है कि अनुराधा 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गई।
पिछले करीब नौ साल से अब वह भाजपा में है। कभी मुजफ्फरनगर तो कभी बिजनौर से टिकट की दावेदार है। मीरापुर सीट अगर जाट प्रत्याशी के हिस्से में आती तो भाजपा के कोटे से अनुराधा चौधरी का नाम भी चर्चा में था।