मुजफ्फरनगर। दिन रात मजदूरी कर चंद रुपये कमाने वाले तीनों आरोपियों ने रातों रात अमीर बनने की चाह में ऐसी राह पकड़ी कि अपराधी बन गए।

शाहबान की मौसी का बेटा सादिक ट्रक चालक है। अब्दुल रहमान वेल्डिंग का काम करता है, जबकि शहजाद ने नई मंडी में नाई की दुकान खोली है। तीनों ही रात दिन काम कर किसी तरह खर्च निकाल रहे थे। तीनों का नाम अब जनपद पुलिस के रिकार्ड में बड़े अपराधियों में पंजीकृत हो गया है। पुलिस सूत्रों की माने तो सादिक का शाहबान के घर आना जाना था। उसका मौसा सत्तार सऊदी रहता था। वह घर पर पैसा भेजता रहता था। पैसे का लालच आ गया और उसने अपने दोनों दोस्तों को लालच देकर अपने साथ अपराध में शामिल कर लिया। वह 20 नवंबर को पहले तो शाहबान के घर गया। उसके दोस्त गांव के बाहर खड़े रहे थे। वापसी में वह बालक को बहका कर अपने साथ ले आया। संवाद
धमकी दी थी

क्योंकि सादिक रिश्तेदार होने के कारण हर वक्त पूरे मामले पर नजर रख रहा था, तो उसे शाहबान के घर और पुलिस कार्रवाई आदि के बारे में भी पूरी जानकारी थी। शाहबान के घर मोबाइल पर काल कर शाहबान की मां से साठ लाख की फिरौती मांगी तो वह घबरा गई। पुलिस को सूचना देने पर जब कार्रवाई शुरू हुई तो उसे पुलिस के चक्कर में न आने की बात कहते हुए धमकाया गया।

चालाक है सादिक
ट्रक चालक सादिक बेहद चालाक है। पुलिस शाहबान को तलाश रही थी। किसी को शक न हो, इसी लिए वह पुलिस के साथ साथ घूमता था। लेकिन पुलिस के सामने उसकी चालाकी नहीं चली। उसके साथी और वह पकड़ा गया।

पुलिस की वजह से बची जिंदगी
चूंकि तीनों आरोपियों को पैसा चाहिए था। पैसे के लिए बालक का अपहरण किया था। पैसा वसूलने के बाद वह बालक को जीवित छोड़ते? ऐसा मुश्किल था। क्योंकि शाहबान सादिक को अच्छे से जानता था। ऐसे में निश्चित रुप से फिरौती की रकम लेने के बाद सादिक और उसके साथी शाहबान की हत्या कर देते। ऐसे में पुलिस ने जिस सक्रियता से काम किया, उससे यह तो साफ हो गया कि पुलिस ने न केवल मामले का खुलासा किया, बल्कि बालक की जिंदगी को भी सुरक्षित रखा।

मुुखबिर-सर्विलांस का सहारा
शुरू से ही पुलिस कई बिंदुओं पर काम कर रही थी। परिजन की किसी से दुश्मनी नहीं थी। बालक का पिता सऊदी रहता था। गांव के लोगों की गतिविधि सामान्य थी। तब पुलिस ने मुखबिर तंत्र सक्रिय किया। सर्विलांस का सहारा लिया। गांव के सभी सीसीटीवी खंगाले और बालक को सकुशल बरामद कर लिया।

कई दिन बाद लिखा मुकदमा
हालांकि पुलिस ने इस अपहरण कांड का खुलासा कर अपने ऊपर उठने वाले तमाम सवालों को मौन कर दिया है। लेकिन इसमें यह भी जरूर है कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में तत्परता नहीं दिखाई। क्योंकि घटना 20 नवंबर की थी और रिपोर्ट दो दिन पहले अब दर्ज की गई।