मुजफ्फरनगर। किसानों और केंद्र सरकार के बीच एक साल से जमी बर्फ पिघलती नजर आ रही है, लेकिन मिशन यूपी लंबा चल सकता है। भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत का कहना है कि आचार संहिता लगने के बाद इस मसले पर अगला कदम उठाएंगे। यूपी के किसानों को महंगी बिजली मिल रही है। गन्ने का भुगतान नहीं हुआ है। बैंकों के निजीकरण बिल पर कहा कि देश में साझा आंदोलन की जरूरत है।
भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने ट्वीट कर कहा कि किसान आंदोलन जब शुरू हुआ, तभी आगाह किया गया था कि अगला नंबर बैंकों का है। सोमवार को संसद में सरकारी बैंकों के निजीकरण का बिल पेश होने जा रहा है। निजीकरण रोकने के लिए देश में साझा आंदोलन किए जाने की जरूरत है।
मुजफ्फरनगर से पांच सितंबर को शुरू किए गए मिशन यूपी पर टिकैत ने एक बयान में कहा कि आचार संहिता लगने के बाद ही इस पर निर्णय करेंगे। प्रदेश में किसानों के मुद्दे लंबित हैं। महंगी बिजली सबसे बड़ी समस्या बन गई है।
सिंघु बॉर्डर पर ही जगह चाहिए स्मारक
भाकियू नेता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि किसान आंदोलन में 708 किसान शहीद हुए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने इसकी सूची तैयार की है। आंदोलन का केंद्र सिंघु बॉर्डर रहा है, इस वजह से यहीं पर किसान स्मारक बनाने के लिए जगह चाहिए।
सरकार ने दिया तेल, पल्ले में गेर
भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने मजाकिया लहजे देशी कहावत ‘सरकार ने दिया तेल, पल्ले में गेर…’ का भी बयान में जिक्र किया। टिकैत ने कहा कि चुनाव पांच साल में आते हैं। आचार संहिता लगने से पहले सरकार का फूल खिल रहा है। किसानों को इसमें अधिक से अधिक शहद लेना है।