मुजफ्फरनगर। सियासत में उथल-पुथल मची है। कहीं प्रत्याशियों और संभावितों की सूची पर समर्थन तो कहीं विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया है। जिले में राजनीतिक दलों के पास नेताओं की फौज है, लेकिन कई बार बाहरी नेताओं पर दांव खेला गया। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बाहरी नेताओं को खूब चुनाव लड़ाए गए। कई बाहरी ऐसे रहे, जिन्हें लोगों का भरपूर समर्थन और प्यार भी मिला। ऐसे नेता भी चुनाव लड़ने पहुंचे, जिन्हें बाहरी नहीं माना गया और वह लोगों के बीच हमेशा अपने बनकर ही रहे।

गृहमंत्री बन गए थे मुफ्ती मोहम्मद
साल 1989 में जनता दल के टिकट पर जम्मू-कश्मीर के रहने वाले मुफ्ती मोहम्मद सईद मुजफ्फरनगर लोकसभा से चुनाव जीते और गृहमंत्री बनाए गए। सईद को लेकर लोगों के बीच नाराजगी रही। 1991 में हुए चुनाव में भाजपा के नरेश कुमार बालियान ने मुफ्ती मोहम्मद को हरा दिया था।

खतौली से विधानसभा पहुंचे करतार
साल 2012 के चुनाव में रालोद के टिकट पर करतार भड़ाना खतौली विधानसभा से जीते थे। भड़ाना ने 46 हजार 722 वोट हासिल किए थे और सपा के श्याम लाल को हराया था। करतार 2017 में रालोद के टिकट पर बागपत से चुनाव लड़े और हार गए। बाहरी प्रत्याशी बनकर रह गए।

पैराशूट से उतरे थे अवतार भड़ाना
भाजपा के टिकट पर 2017 में अवतार भड़ाना मीरापुर से चुनाव लड़े। सपा-कांग्रेस गठबंधन के लियाकत अली से उनकी कड़ी टक्कर हुई। अवतार चुनाव तो जीत गए, लेकिन क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे। यही वजह है कि बाहरी प्रत्याशी को लेकर यहां लोगों में नाराजगी बन गई। अवतार ने अब भाजपा छोड़ दी है।

यह भी आए थे भाग्य आजमाने
मुजफ्फरनगर की उर्वरा राजनीतिक जमीन पर भाग्य आजमाने के लिए कई नेता पहुंचे। इनमें भाजपा के सरधना विधायक ठाकुर संगीत सिंह सोम ने 2009 में सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2014 में भी वह टिकट के दावेदार रहे। अब सरधना में सक्रिय है। भाजपा के टिकट पर 2004 में मेरठ के सांसद रहे ठाकुर अमरपाल सिंह ने भी मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ा था, लेकिन दिवंगत पूर्व सांसद मुनव्वर हसन ने उन्हें हरा दिया था।

जीतती रही तो जिले में रही अनुराधा
रालोद में नंबर दो की हैसियत रखने वाले पूर्व मंत्री अनुराधा चौधरी मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली हैं। इन दिनों भाजपा में है, लेकिन सक्रिय राजनीति में नजर नहीं आती। पहली बार 2002 में बघरा से विधानसभा का चुनाव जीतकर लोक निर्माण विभाग की मंत्री बनीं। उनके कार्यकाल में सड़कों और नहर पटरियों पर खूब कार्य कराए गए। 2004 में अनुराधा चौधरी कैराना लोकसभा से सांसद बनीं। सबसे ज्यादा वोटों से जीतकर वह संसद पहुंचीं थी। मुजफ्फरनगर में आवास भी बनाया, लेकिन सक्रिय राजनीति से दूर होते ही जिले में भी आवाजाही कम हो गई।

इस बार अब तक इन्हें कह रहे बाहरी
चुनाव की तैयारियां चल रही है। इस बार भाजपा के संभावित प्रत्याशियों की सूची में शामिल पूर्व एमएलसी प्रशांत गुर्जर और पूर्व सांसद नरेंद्र कश्यप को बाहरी बताकर विरोध किया जा रहा है।