मॉस्को. बीते 8 दिनों से रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग का अब तक कोई नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है. इसके उलट खबरें ऐसी आ रही हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन अपनी परमाणु-सैन्य बल को सतर्क कर दिया है. किसी भी परिस्थिति के लिए उसे तैयार रहने का आदेश दिया है. इससे सवाल उठ रहा है कि क्या रूस इस लड़ाई में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है? या उसकी यह तैयारी सिर्फ दुनिया की अन्य सैन्य-शक्तियों को डराने के लिए है? रूस, चूंकि दुनिया की सबसे बड़ी और पुरानी महाशक्ति है, इसलिए जिज्ञासा इस बात को लेकर भी है कि आखिर उसके पास कितने परमाणु हथियार होंगे? और ये कितने विनाशकारी हो सकते हैं?

रूस के पास 4,577 सक्रिय परमाणु हथियार, इनमें से 2,500 बेहद घातक!
पक्का तो किसी को मालूम नहीं. लेकिन अमेरिकी वैज्ञानिकों के महासंघ का अनुमान है कि रूस के पास करीब 5,977 परमाणु हथियार हैं. यह तादाद दुनिया में सबसे अधिक बताई जाती है. हालांकि इनमें से 1,500 या तो रिटायर हो चुके हैं या फिर उन्हें तितर-बितर कर दिया गया है. लेकिन बाकी 4,577 हथियारों में 2,500 से अधिक बेहद घातक हैं. ये कम से लेकर लंबी और बहुत लंबी दूरी तक मार कर सकते हैं. इनमें मिसाइलें हैं और रॉकेट भी. रूस ने जमीन, हवा, पानी तीनों जगहों पर इन हथियारों को तैनात कर रखा है. इसके बाद बचे हुए अन्य परमाणु हथियार अपेक्षाकृत कम घातक स्तर के बताए जाते हैं.

कितनी तैनाती कर रखी है रूस ने परमाणु हथियारों की
रूस के पास उपलब्ध परमाणु हथियारों में सबसे अधिक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें (IBM) हैं. करीब 1,185. इनमें से करीब 70% आईबीएम बटन दबाते ही उड़ने के लिए तैयार स्थिति में समुद्री और जमीनी सैन्य अड्‌डों पर तैनात हैं. ये हथियार 10-15 हजार किलोमीटर की दूर तक, एक महाद्वीप से दूसरे में जाकर भी अपना लक्ष्य भेद सकते हैं. तबाही मचा सकते हैं. पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली मिसाइलें (SLBM) 800 के आसपास हैं. इनमें 75-80% तैनात हैं. बाकी भंडारों में सुरक्षित हैं. हवाई जहाजों से छोड़े जाने वाले परमाणु बम (ALNB) 580 के करीब हैं. इनमें से अधिकांश भंडारों में हैं. करीब 15-20% की तैयार स्थिति में मारक उपकरणों के साथ फिट हैं.

रूस के बाद सर्वाधिक परमाणु हथियार नाटो के पास
रूस के बाद सबसे अधिक 5,943 परमाणु हथियार उत्तर अटलांटिक संधि संगठन के पास हैं. अमेरिका के नेतृत्व वाला यही सैन्य गठजोड़ यूक्रेन पर रूस के हमले की तात्कालिक वजह बना है. नाटो के अगुवा अमेरिका के पास 5,428, फ्रांस के पास 290 और ब्रिटेन के पास 225 परमाणु हथियार (Nuclear Weapons) बताए जाते हैं. इसके बाद चीन के पास 350, पाकिस्तान के पास 165, भारत के पास 160, इजरायल के पास 90 और उत्तर कोरिया के पास 20 परमाणु हथियार बताए जाते हैं. यहां, फिर याद रखिए, यह संख्या सिर्फ अनुमानित ही है.

आज एक परमाणु हथियार से 8 वर्ग-किलोमीटर का दायरा तबाह
विशेषज्ञ बताते हैं कि 100 किलोटन का एक परमाणु हथियार करीब 8 वर्गकिलोमीटर के दायरे में कम और लंबी अवधि की तबाही लाता है. इसमें से करीब पौने-दो वर्गकिलोमीटर का दायरा तो नेस्तनाबूद ही हो जाता है. इमारतें और तमाम ढांचे ध्वस्त हो जाते हैं. हजारों लोग मारे जाते हैं. दूर-दायरे के जो लोग बच भी गए वे लंबी अवधि में रेडियो-विकिरण के प्रभाव से गूंगे, बहरे, लंगड़े, लूले और बीमार होकर बाकी जिंदगी गुजारते हैं. इतना ही नहीं, इंसान हो या पशु-पक्षी, आने वाले कई सालों तक इनकी संतानें किसी न किसी शारीरिक, मानसिक विकार के साथ पैदा होती हैं.

हिरोशिमा-नागासाकी याद है, इसलिए फैसला सोच-समझकर होगा
जापान के हिरोशिमा-नागासाकी को अभी कोई भूला नहीं है. अमेरिका ने वहां 15 किलोटन के 2 परमाणु बम गिराए थे. इससे करीब 1.46 लाख लोगों की मौत हुई थी. आने वाली पीढ़ियों तक उसके जो असर सामने आए, वे अलग. इसके लिए कई वर्गों में अमेरिका को आज भी ‘मानवता के दुश्मन’ की तरह याद किया जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, आज तो एक-एक हजार किलोटन के परमाणु हथियार हैं. ये सभी महाशक्तियों के पास मौजूद हैं. इसके लिए अगर किसी ने एक बार भी बिना सोचे-समझे इन हथियारों का बटन दबाया तो बदले में उसके हिस्से भी सिर्फ तबाही ही आएगी. यह बात रूस के राष्ट्रपति पुतिन, उनके सलाहकार और समर्थक भी अच्छी तरह समझते हैं. यही वजह है कि 1945 के बाद से अब तक किसी भी महाशक्ति ने कितनी भी गंभीर लड़ाई में परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया है. इसके उलट अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन सहित दुनिया के 191 देशों ने अब तक परमाण हथियार निषेध संधि दस्तखत कर यह वादा किया है कि वे अपनी तरफ से इन हथियारों के इस्तेमाल की पहल नहीं करेंगे. बल्कि अपनी तरफ से इनकी संख्या धीरे-धीरे कम करते जाएंगे. ऐसे में, परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने की धमकी या तैयारी को सिर्फ प्रतिद्वंद्वियों को डराने-धमकाने की कोशिश ही माना जा रहा है. कम से कम अभी तो यही कहा जा सकता है.