नई दिल्ली। चेन्नई सुपर किंग्स के तेज गेंदबाज मुकेश चौधरी ने बीते दिन मुंबई इंडियंस के खिलाफ खेले गए आईपीएल मैच में 3 विकेट लेकर सनसनी पैदा कर दी. मुकेश चौधरी ने रोहित शर्मा (0), ईशान किशन (0) और डेवाल्ड ब्रेविस (4) को आउट कर मुंबई इंडियंस के खेमे में हड़कंप मचा दिया. इस मैच में मुकेश चौधरी के नाम 4 विकेट होते, लेकिन CSK टीम ने कई कैच भी छोड़े थे.
CSK का सबसे बड़ा हथियार बना ये बॉलर
मुकेश चौधरी को हालांकि ऐसा प्रदर्शन करने में समय लगा, लेकिन अब उन्होंने टीम प्रबंधन द्वारा उन पर दिखाए गए विश्वास को आगे बढ़ाया है और चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) की करीबी जीत में अहम भूमिका निभाई. क्रिकेट मुकेश चौधरी का पसंदीदा खेल था, जब वह राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के परदोदास गांव में बड़े हो रहे थे.
पूरे दिन करनी पड़ती थी फील्डिंग
मुकेश चौधरी ने बताया, ‘जब मैं छोटा था, तो बड़े लोग मुझे बल्लेबाजी या गेंदबाजी नहीं करने देते थे, लेकिन मैं पूरे दिन फील्डिंग करता था. मेरे घर में स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. मेरे गांव में कोई क्लब या कुछ भी नहीं था, इसलिए यह सब टेनिस गेंद से शुरू हुआ.’
पिता ने बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया
मुकेश चौधरी ने कहा, ‘चौथी कक्षा में मेरे पिता ने मुझे एक बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया, क्योंकि मेरे गांव में पढ़ने की ज्यादा सुविधा नहीं थी. मैंने फिर बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, हॉकी जैसे अन्य खेलों की भी कोशिश की, लेकिन क्रिकेट हमेशा मेरा पसंदीदा था.’
क्रिकेट पर ध्यान देना शुरू कर दिया
मुकेश चौधरी ने कहा, ‘मैंने अपने माता-पिता को नहीं बताया, लेकिन मैंने क्रिकेट पर ध्यान देना शुरू कर दिया. जब मेरा नाम अखबारों में आया, तो मैं उन्हें बताया. तब मेरे पिता ने कहा ठीक है, लेकिन पढ़ाई जारी रखो, क्योंकि बहुत सारे लोग क्रिकेट खेलते हैं.’
इस बारे में माता-पिता को नहीं पता था
मुकेश चौधरी ने कहा, ‘दो साल बाद मैंने रणजी ट्रॉफी (महाराष्ट्र के लिए) खेली, तब उन्होंने ठीक महसूस किया और मेरा समर्थन किया. जब तक मैं राज्य के लिए नहीं चुना गया, केवल मेरे भाई को पता था कि मैं गंभीरता से क्रिकेट खेल रहा हूं. मेरे माता-पिता को नहीं पता था.’
परिवार ने मुकेश चौधरी का साथ दिया
मुंबई के खिलाफ चौधरी के शानदार प्रदर्शन ने निश्चित रूप से उनके पिता को गौरवान्वित किया होगा. मुकेश चौधरी ने कहा, ‘मेरी यात्रा कठिन रही है, लेकिन मेरे परिवार ने मेरा साथ दिया. जब मैं पुणे में अकेला था, तो मेरी बहन ने मेरा बहुत साथ दिया. उसके बिना मैं कुछ भी अच्छा नहीं कर पाता था. यहां तक कि जब मुझे चुना गया, तो उन्होंने मुझे अगले चरणों के बारे में सोचने और अच्छा करने के लिए कहा था.’