मुजफ्फरनगर। बिजली के बकाया को लेकर पावर कारपोरेशन द्वारा करीब साढे तीन लाख रुपए का रिकवरी नोटिस जारी होने के बाद नगर पालिका ने इस भुगतान के दायित्व से अपना पल्ला झाडते हुए इस आवास में बिजली का उपभोग करने वाले अधिशासी अधिकारियों को भुगतान ना करने के लिए दोषी बताते हुए उन्हें भुगतान के लिए पत्र लिखा है।

नगर पालिका द्वारा पावर कारपोरेशन को जारी करीब 12 करोड के रिकवरी नोटिस के बाद बिजली विभाग द्वारा पालिका के अधिशासी अधिकारी आवास के बकाया करीब सवा तीन लाख रुपये के बिल को लेकर नोटिस जारी करने के साथ आरसी भी जारी कर दी थी। इसके बाद पालिका में खलबली मची तो ईओ हेमराज सिंह ने टैक्स विभाग के कर्मचारियों को अपने कार्यालय में तलब कर बिजली विभाग से संबंधित चल रही सभी पत्रावलियां मांगी। इसके साथ ही ईओ ने यह भी जानकारी मांगी थी कि बिजली विभाग पर नगर पालिका का नियमानुसार कितना टैक्स बैठता है। ईओ आवास के बकाया को लेकर आरसी जारी होने पर पालिकाध्यक्ष के कान खडे हुए तो उन्होंने इसे लेकर विभाग के अधिकारियों से पूछताछ की। अब पालिका ने साफ कहा है कि अधिशासी अधिकारी के आवास पर बिजली का उपभोग अधिशासी अधिकारियों द्वारा किया जाता रहा है, ऐसे में इसके भुगतान के लिए वे ही जिम्मेदार हैं।

 

इससे पालिका का कोई लेना देना नहीं हैं। पालिका द्वारा अब हाल तक रह चुके अधिशासी अधिकारियों को पत्र लिखकर पूछा जा रहा है कि उन्होंने बिजली का उपभोग किया तो बिल क्यों नहीं अदा किया। पालिका का साफ कहना है कि बिजली के बिल का भुगतान उस अधिकारी की जिम्मेदारी है जो इसका उपभोग कर रहा है। इसका भुगतान पालिका द्वारा नहीं किया जा सकता। अब इस बात का पता लगाया जा रहा है कि कितने अधिशासी अधिकारी ऐसे हैं जो इस निवास में रहते हुए बिजली फूंककर चल दिए और उन्होंने बिल का भुगतान नहीं किया। ऐसे अधिकारियों को पालिका की ओर से नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

दूसरी और पालिका के बिजली बिलों के बारे में पालिकाध्यक्ष अंजू अग्रवाल ने बताया कि बिजली की खपत कम करने के लिए तमाम प्रयास पालिका द्वारा किए गए हैं। इसी के चलते शहर में लगी करीब तेरह हजार 250 वाट की सोडियम लाइटें उतरवाकर 45 वाट की एलईडी लाईटें लगवाई गईं। इसके चलते स्ट्रीट लाइट का जो बिली 90 लाख रुपये प्रति महा बैठता था वह इससे घटकर कर अब करीब पंद्रह लाख रह गया है। इसके अलावा नलकूपों पर कैपीसिटर लगवाने से फ्लक्चुएशन कम हुआ और बिजली का कम खर्च होने लगा है। इसके चलते पहले बिजली का जो कुल भुगतान करीब एक करोड पंद्रह लाख बैठता था, वह अब घटकर करीब चालीस लाख रह गया है।

एलईडी लाइटें जहां खर्च बचा रही हैं, वहीं यह लोगों की आंखों को सुकून भी पहुंचाती हैं। अब स्ट्रीट लाइट और नलकूप को मिलाकर पालिका का भुगतान करीब चालीस लाख रुपये रह गया है। उनका कहना है कि जो भी बिल आता है उसके आधा पर बिल शासन को भेजा जाता है और राज्य वित्त आयोग से उसका सीधा भुगतान बिजली विभाग को होता है। ऐसे में पालिका पर बिजली का कोई बकाया नहीं बैठता। दूसरी ओर बिजली विभाग का दावा है कि नगर पालिका पर बिजली विभाग का करीब दो करोड़ रुपए बिजली बिल बकाया है। यह बिजली बिल पिछले कई वर्षों से बकाया चल रहा है। पावर कारपोरेशन के नोटिस के बाद भी नगर पालिका ने बिल जमा नहीं किया है। दूसरी ओर नगर पालिका ने शहरी क्षेत्र में स्थित करीब 11 बिजलीघरों पर टैक्स लगाते हुए लगभग 12 करोड रुपए का पावर कारपोरेशन को रिकवरी नोटिस भेज दिया। पावर कारपोरेशन नगर पालिका की इस प्रक्रिया को नियम विरू( बता रहा है। बहरहाल इस जंग का क्या नतीजा होगा यह देखने वाली बात है।

बिजली को लेकर यह विवाद तब शुरू हुआ था जब नगर पालिका द्वारा पावर कारपोरेशन को करीब 12 करोड के भुगतान को लेकर रिकवरी नोटिस जारी किया था। इसके बाद गत दिवस बिजली विभाग ने नगर पालिका ईओ के आवास पर सवा तीन लाख रुपये के बकाया को लेकर आरसी जारी की तो सोमवार को सदर तहसील का अमीन रिकवरी नोटिस लेकर नगर पालिका ईओ के कार्यालय पहुंचा और अधिकारियों को यह नोटिस तामील कराया। इसके अनुसार ईओ के आवास पर पिछले कई माह से बिजली का करीब साढे तीन लाख रुपए का बिल बकाया चल रहा है।