गाजियाबाद. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा लगातार उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जो भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त हैं। बुधवार को योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद की डीएम रही आईएएस निधि केसरवानी को सस्पेंड कर दिया है। आईएएस निधि केसरवानी ने गाजियाबाद के डीएम रहते समय दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के भूमि अधिग्रहण में करोड़ों रुपए का घोटाला किया था। निधि केसरवानी ने किसानों से सस्ता रेट में जमीन ली थी और फिर उसके बाद अपने रिश्तेदारों को खरीदवाकर उत्तर प्रदेश सरकार को कई गुना ऊंचे रेट में बिकवा दिया था। इस मामले में ही योगी आदित्यनाथ ने आईएएस निधि केसरवानी को सस्पेंड कर दिया है और इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने का भी आदेश दिया है।

भूमि का अवार्ड 2013 में घोषित हुआ
मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेसवे 82 किलोमीटर लंबा है। 31.77 किमी हिस्सा गाजियाबाद में है। गाजियाबाद में भूमि अधिग्रहण के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम- 1956 की धारा-3ए की अधिसूचना 8 अगस्त 2011 को जारी हुई थी। इस धारा के तहत भूमि अधिग्रहण का इरादा जताया गया है। धारा-3डी के तहत भूमि को अधिगृहीत किए जाने की अधिसूचना 2012 में जारी की गई। अधिगृहीत की जाने वाली भूमि का अवार्ड 2013 में घोषित हुआ।

मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने करवाई थी जांच
इस अवार्ड के खिलाफ गाजियाबाद के चार गांवों-कुशलिया, नाहल, डासना और रसूलपुर सिकरोड़ के किसानों ने कोर्ट की दखल के लिए वाद दाखिल किए। 2016 और 2017 में जिलाधिकारी ने नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत जमीन के सर्किल रेट के चार गुना की दर से मुआवजा देने के निर्णय किए। मामले की शिकायत होने पर तब के मंडलायुक्त डॉ. प्रभात कुमार ने इसकी जांच कराई। 29 सितंबर 2017 को शासन को सौंपी गई। जांच रिपोर्ट में उन्होंने धारा-3डी की अधिसूचना के बाद जमीन खरीदने, आर्बिट्रेटर द्वारा प्रतिकर की दर बढ़ाने और बढ़ी दर से मुआवजा दिए जाने को गलत ठहराया। इन चार गांवों की मुआवजा राशि जहां पहले 111 करोड़ रुपए थी। आर्बिट्रेशन के तहत प्रतिकर की दर बढ़ाए जाने से यह रकम 486 करोड़ रुपए हो गई।

डॉ.प्रभात कुमार ने शासन से की थी शिकायत, कई अफसरों पर गिरेगी गाज
इस मामले में डॉ.प्रभात कुमार ने अधिसूचना के बाद मुआवजा बांटने के लिए गाजियाबाद के डीएम विमल कुमार शर्मा और निधि केसरवानी समेत काफी अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी माना था। इसकी शिकायत उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से की थी। जिसके बाद 2019 में इन दोनों अधिकारियों समेत जो भी इस मामले में लिप्त हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया गया था। अब तक इस मामले में गाजियाबाद के अपर जिलाधिकारी घनश्याम सिंह को भी आरोपी माना गया है। बताया जा रहा है कि इस मामले में और भी अफसरों पर गाज गिर सकती है।