मुजफ्फरनगर. सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की 11वीं पुण्यतिथि पर सोमवार को मुजफ्फरनगर में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. वहीं देश के सबसे बड़े किसान आंदोलन से किसानों के बड़े नेता के रूप में उभरे राकेश टिकैत की विचारधारा से अलग होकर पुराने साथियों ने एक अलग नया संगठन खड़ा कर दिया.
करनाल में होगी बैठक
राकेश टिकैत ने कहा कि भारतीय किसान यूनियन संगठन को जो भी लोग छोड़ कर जा रहे हैं, उनका अब भारतीय किसान यूनियन संगठन से कोई संबंध नहीं है. 2 दिन बाद हरियाणा के करनाल में हमारी कार्यकारिणी की मीटिंग है. इस मीटिंग में 7-8 राज्यों के किसान आ रहे हैं. 18 तारीख को वह मीटिंग होनी है. हमारा जो रजिस्ट्रेशन है, वह भारतीय किसान यूनियन के नाम से है. उन लोगों ने भारतीय किसान यूनियन राजनैतिक के नाम से संगठन बनाया है. हमारे बाइलॉज में यह है कि हम कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे. जो भी भारतीय किसान यूनियन को छोड़कर जाएगा और अपना संगठन बनाता है तो वह भारतीय किसान यूनियन के आगे कोई भी नाम लगा सकता है.
सोशल मीडिया की खबर को बताया गलतफहमी
इस पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रिय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने देर शाम मुजफ्फरनगर में स्थित अपने आवास पर एक पत्रकारवार्ता के दौरान बयान दिया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर एक खबर चल रही है, बड़ी गलतफहमी की खबर चल रही है कि बीकेयू अलग हुआ है. कुछ हमारे पुराने साथी जीने हम छोटे-छोटे गांव से निकाल कर लाए थे, उनको हमने बड़े ओधो पर बिठाया. उन्होंने इस संगठन में 30-35 साल काम किया. कुछ विचारधाराओं में भिन्नता आई होगी इसलिए उन्होंने अलग संगठन बना लिया है. संयुक्त किसान मोर्चा में भी साढ़े पांच साल किसान संगठन है. जो भी संगठन छोड़ कर गया है, उसने अपना अलग संगठन बनाया.
कृषि बिल को बता रहे बढ़िया
उन्होंने कहा कि 13 महीने जिन लोगों ने कृषि बिल का विरोध किया, संयुक्त किसान मोर्चा के मीटिंग में जाते रहे. आंदोलन में वह लोग लंगर और भंडारा चलाते रहे, आज वह लोग कृषि बिल को बढ़िया बता रहे हैं. हम उन्हें मनाने गए थे, उनसे बातचीत भी हुई थी. लेकिन हमें यह लगा कि वह लोग किसी अंडर प्रेशर में काम कर रहे हैं. हमारे किसी से राजनीतिक संबंध नहीं हैं. उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि उनके ऊपर बहुत बड़ा प्रेशर और मजबूरी है. इस सरकार में नहीं लगता कि वह लोग फिर से घर वापसी करेंगे. पुराने लोग गए हैं, दुख तो होगा ही याद आएगी उन लोगों की.