मुजफ्फरनगर। यूपी के अपर मुख्य सचिव द्वारा जारी शासनादेश संख्या-636 पी में अधिवक्ताओं के लिये अराजक शब्द का प्रयोग करते किए जाने पर जिला बार संघ और सिविल बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने यूपी बार कौंसिल के आहवान पर नो वर्क रखा तथा कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रपति के नाम संबोधित एक ज्ञापन जिला प्रशासन के माध्यम से प्रेषित किया। जिला बार संघ के अध्यक्ष वसी अंसारी ने आरोप लगाया कि शासनादेश में जिस तरह से शब्दों का उपयोग किया गया है उससे अधिवक्ता समाज को लांछित करने का कुप्रयास किया गया।

कलेक्ट्रेट पहुंचे जिला बार संघ एवं सिविल बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर पहुंचकर प्रदर्शन किया। डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष वसी अंसारी ने कहा कि भारतवर्ष में न्यायालय एक स्वतंत्र व गरिमापूर्ण संस्थान है, जिसमें न्यायाधीश के अतिरिक्त अधिवक्ता संस्थान के आवश्यक अंग के रूप में कार्य करते हुए वादकारियों को न्याय दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते है। जिससे न्यायालय निर्भीकतापूर्वक व स्वतंत्र कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर मुख्य रूप से लोकतांत्रिक व्यवस्था को जीवंत बनाने कर रहे है। परन्तु प्रशासन इस स्वतंत्र व्यवस्था में अतिक्रमण कर अपना वर्चस्व स्थापित करने की कुचेष्टा कर रहा है।

इसी कारण बिना किसी युक्तियुक्त आधार के इस प्रकार का शासनादेश जारी किया गया। जो 18 मई को निरस्त कर दिया गया। परन्तु न्यायाधीश व अधिवक्ता के मध्य सुविचारित तरीके से भेदभाव करते हुए व अधिवक्ता को वादाकारी, अपराधी की श्रेणी में रखते हुए 15 मई 2022 को अपर मुख्य सचिव द्वारा एक अन्य शासनादेश संख्या-636 पी प्रसारित किया गया है। जिसकी भाषा प्रशासनिक अधिकारियों की शर्मनाक सोच का परिचायक है व इस प्रकार के आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग सम्पूर्ण अधिवक्ता समाज को कलंकित करने का प्रयास मात्र है, जो प्रशासन का घोर निन्दनीय कृत्य है। उन्होंने कहा कि जनपद का अधिवक्ता समाज इस शासनादेश की कड़ी भर्त्सना करता है एवं इस शासनादेश संख्या 636-पी तत्काल वापिस लिये जाने की मांग करता है। इस दौरान जिला बार संघ के सभी अधिवक्तों ने एक ज्ञापन जिला प्रशासन के माध्यम से प्रेषित किया। ज्ञापन देने वालों में जिला बार संघ के महासचिव सुरेंद्र कुमार मलिक, सिविल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज कुमार शर्मा, पूर्व अध्यक्ष सुगंध जैन, अनिल कुमार दीक्षित समेत काफी अधिवक्ता शामिल रहे।