नई दिल्‍ली. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तंबाकू निर्माता होने के साथ-साथ इसका सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। भारत सरकार द्वारा सभी तंबाकू उत्पादों के लिये सेहत से जुड़ी कुछ खास चेतावनी देने के बावजूद, 15 साल से अधिक उम्र के लगभग 26.7 करोड़ से भी ज्यादा वयस्क तंबाकू का इस्तेमाल कर रहे हैं, क्योंकि ये सस्ते होते हैं। भारत में तंबाकू के इस्तेमाल का सबसे प्रचलित रूप धुंआरहित तंबाकू है- इसमें खैनी, गुटका, तंबाकू और जर्दा के साथ पान का बीड़ा आता है। वहीं इसके बाद, तंबाकू के धुएं वाले रूप जैसे बीड़ी, सिगरेट और हुक्का का इस्‍तेमाल भी खूब किया जाता है।

पूरी दुनिया में तंबाकू का इस्तेमाल सबसे गंभीर जन स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इसकी वजह से श्वसन से जुड़े कई सारे गंभीर खतरे और क्रॉनिक रोग होते हैं, जिसमें कैंसर, फेफड़े की बीमारी, कार्डियोवैस्कुलर रोग और स्ट्रोक शामिल हैं। इसकी वजह से हर साल लगभग 13.5 करोड़ मौतें होती हैं। धूम्रपान करना ना केवल सेहत के लिये नुकसानदायक होता है और मौत की ओर ले जाता है, बल्कि लोगों पर आर्थिक बोझ भी डालता है। इसका प्रभाव असामान्य रूप से भारत के कमजोर वर्ग वाली आबादी पर पड़ता है, जिसमें महिलाएं, युवा और कम आय वाले लोग शामिल हैं। जर्नल ऑफ निकोटिन एंड टोबैको रिसर्च के हाल के अध्ययन के अनुसार, भारत में सेकंड हैंड स्मोकिंग, प्रत्यक्ष रूप से 567 बिलियन रुपये वार्षिक दर में योगदान देते हैं। यह तंबाकू के उपयोग से होने वाले चौंका देने वाले सबसे ज्यादा वार्षिक आर्थिक बोझ $27.5 बिलियन के कुल वार्षिक स्वास्थ्य देखभाल के खर्च का 8% है।

तंबाकू के सेवन का आर्थिक बोझ, लाइफ एवं हेल्‍थ कवर खरीदने की बुनियादी जरूरतों पर पड़ता है। जब भी आप लाइफ इंश्‍योरेंस लेने के लिये आवेदन करते हैं तो आपको यह बताना जरूरी होता है कि आप धूम्रपान करते हैं या नहीं। बीमा कंपनियां, आपकी उम्र, सेहत और जोखिम के अन्य खतरों के आधार पर आपके प्रीमियम की दर तय करती है। एक बार धूम्रपान करने का पता चलता है तो आपके धूम्रपान ना करने की तुलना में ज्यादा जीवन बीमा प्रीमियम भरना पड़ता है। चूंकि, तंबाकू के साथ सेहत के लिहाज से सबसे ज्यादा जोखिम वाला व्यवहार होता है, इसलिये तंबाकू का सेवन करने वालों के लिये लाइफ इंश्‍योरेंस प्रीमियम आमतौर पर बढ़ जाता है।

वैसे तो धूम्रपान करने वालों के परीक्षण उद्योग मानक के होते हैं, यहां तक कि धूम्रपान बंद करने वाले प्रोडक्ट जैसे निकोटिन गम और निकोटिन पैचेस भी तंबाकू के उच्च जोखिम के अंतर्गत माने गये हैं, क्योंकि यह कोटिनाइन के अंश छोड़ जाते हैं- यह एक अल्काइड होता है जोकि शरीर में निकोटिन के मेटाबोलाइज होने के बाद पाया जाता है। जीवन बीमा के उद्देश्य से नॉन-स्मोकर माना जाने के लिये आपको कम से एक साल तक धूम्रपान नहीं करना होगा। यदि आपने कुछ महीनों के दौरान धूम्रपान नहीं किया और आपको लगता है कि बीमा कंपनी आपके शरीर में किसी तरह की चीज का पता नहीं लगा पाएगी तो भी हमेशा जीवन बीमा आवेदन करने के दौरान स्वास्थ्य से जुड़े सवालों के जवाब ईमानदारी से देना चाहिये। आपके तंबाकू सेवन को लेकर जीवन बीमा प्रदाता से झूठ बोलने से आपके जीवन बीमा पॉलिसी के क्लेम पर प्रभाव पड़ सकता है और आपके अपनों पर आर्थिक संकट ला सकता है। इसे धोखाधड़ी के तौर पर देखा जा सकता है और आपको कानूनी परिणाम भी झेलने पड़ सकते हैं।

धूम्रपान छोड़ना या कम करना अभी भी जीवन बीमा के प्रीमियम को कम करने का सबसे सेहतमंद और प्रभावी तरीका है। यदि आप धूम्रपान करते हैं और अपनों के जीवन को सुरक्षित करना चाहते हैं तो आपको रिसर्च करना चाहिये और एक ऐसा टर्म प्लान चुनना चाहिये, जिसमें चुनने के लिए गंभीर बीमारी कवर सहित कई तरह के राइडर्स हों। इसके अन्य विकल्पों में सही बीमा राशि, पॉलिसी की अवधि, प्रीमियम भुगतान की शर्तें और भुगतान का तरीका शामिल है।