नईदिल्ली.ऑफिस या घर पर अगर आप एसी में घंटों बिताते हैं या काम करते हैं तो बेशक ये आपको सुकून तो दे लेकिन संभल जाएं. क्योंकि ये बहुत नुकसानदायक भी है और कई बीमारियों को न्योता दे सकती है. यूं भी अब चाहे घर हो या आफिस हर जगह एसी का चलन बढ़ गया है.

ज्यादा एसी के इस्तेमाल के लिए चेतावनियां हमेशा से दी जाती रही हैं. एक्सपर्ट भी कहते हैं कि जितना कम एसी का इस्तेमाल करें, उतना ही अच्छा होगा. लेकिन ये भी सही है कि धीरे धीरे घरों और आफिसों में एसी की तादाद बेतहाशा बढ़ती ही जा रही है. इससे आप कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं.

मोटापा
एयर कंडीशनर के इस्तेमाल से मोटापा बढ़ता है. दरअसल ठंडी जगह पर हमारे शरीर की ऊर्जा खर्च नहीं होती है, जिससे शरीर की चर्बी बढ़ती है.लंबे समय तक एसी में रहने से आपको थकान बने रहने की समस्या हो सकती है. जब आपको थकान बनी रहती है आप थके शरीर से ज़्यादा एक्सरसाइज या कैलोरी कम करने वाले काम नहीं कर पाते, जिसकी वजह से धीरे धीरे आपके शरीर पर चर्बी चढ़ती जाती है और मोटापा बढाती है.

सिरदर्द –
एसी इसका तापमान ज्यादा कम करने पर आपको सिरदर्द और चिड़चिड़ाहट महसूस हो सकती है क्योकि आपके दिमाग की नसें तापमान में बदलाव झेल नहीं पाती.

सर्दी-
अगर आप एसी से निकलकर सामान्य तापमान या गर्म स्थान पर जाते हैं तो आप लंबे समय तक बुखार से पीड़ित हो सकते हैं. इतना ही नहीं इसका तापमान ज्यादा कम करने पर आपको सिरदर्द और चिड़चिड़ाहट महसूस हो सकती है. यह बुखार ज़ुकाम से शुरू होकर आपके दिमाग तक जा सकता है. गर्मियों में होने वाले दिमागी बुखार का कारण ज़्यादातर एसी से बाहर आना जाना ही होता है.

रूखी त्वचा-
इसका दुष्प्रभाव आपकी त्वचा पर भी दिखाई देता है. यह आपकी त्वचा की प्राकृतिक नमी समाप्त कर सकता है जिससे आपकी त्वचा में रूखापन महसूस होता है. खासकर चेहरे के त्वचा आपको खींची खींची लग सकती है. अगर आप ज़्यादा ऐसी में रहते हैं तो मॉश्चराइज़र का इस्तेमाल ज़रूर करें.

एसी के ज्यादा इस्तेमाल से आपकी त्वचा रुखी पड़ जाती है और इसमें इचिंग जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं या स्किन में खिंचाव महसूस कर सकते हैं.
हड्डियां –
लगातार एसी के कम तापमान में बैठना सिर्फ घुटनों की समस्या ही नहीं देता बल्कि आपके शरीर के सभी जोड़ों में दर्द के साथ-साथ अकड़न पैदा करता है और उनकी कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है. अपनी कुर्सी पर बैठे हुए ही छोटे छोटे व्यायाम आपको इस तरह की परेशानियों से बचा सकते हैं.

सांस लेने की क्षमता –
तापमान और आर्द्रता में अचानक परिवर्तन श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं. त्वचा पर इसका बेहद सूखा प्रभाव पड़ता है. एसी की हवा का संक्रमण अस्थमा जैसे रोगों को बढ़ा सकता है. धूल एलर्जी पैदा कर सकती है. एयर कंडीशनिंग से क्रोनिक राइनाइटिस और फेरींगिटिस हो सकता है जो गले की जलन और घावों से भी जुड़ा हुआ है.

आंखों में परेशानी-
आंख में कॉटेक्ट लेंस पहनने वालों के लिए भी समस्याएं पैदा हो सकती है.लेंस लगाने वाली आंखों में थोड़ा पानी होना ज़रूरी होता है. एय़र कंडीशनर आंखों को बिलकुल रूखा कर देता है, जिससे लेंस जल्दी ख़राब होते हैं और यहां तक कि इन्फेक्शन का खतरा भी होता है.

प्रतिरोधक क्षमता-
गर्मी सहन करने के लिए हमारे शरीर में पसीना प्रतिरोध क्षमता पैदा करता है. या तो हम गर्मी से सांस लेकर बचते हैं या पसीना बहाकर लेकिन ऐसी इन दोनों की क्षमताओं को काम करता है. इसलिए एसी से निकलकर जब भी हम बाहर जाते हैं हमें ज़्यादा गर्मी लगती है और बीमार पड़ने का खतरा ज़्यादा बढ़ जाता है. ऑफिस या घर पर अगर आप एसी में घंटों बिताते हैं या काम करते हैं तो बेशक ये आपको सुकून तो दे लेकिन संभल जाएं. क्योंकि ये बहुत नुकसानदायक भी है और कई बीमारियों को न्योता दे सकती है. यूं भी अब चाहे घर हो या आफिस हर जगह एसी का चलन बढ़ गया है.

ज्यादा एसी के इस्तेमाल के लिए चेतावनियां हमेशा से दी जाती रही हैं. एक्सपर्ट भी कहते हैं कि जितना कम एसी का इस्तेमाल करें, उतना ही अच्छा होगा. लेकिन ये भी सही है कि धीरे धीरे घरों और आफिसों में एसी की तादाद बेतहाशा बढ़ती ही जा रही है. इससे आप कई बीमारियों के शिकार हो सकते हैं.

मोटापा
एयर कंडीशनर के इस्तेमाल से मोटापा बढ़ता है. दरअसल ठंडी जगह पर हमारे शरीर की ऊर्जा खर्च नहीं होती है, जिससे शरीर की चर्बी बढ़ती है.लंबे समय तक एसी में रहने से आपको थकान बने रहने की समस्या हो सकती है. जब आपको थकान बनी रहती है आप थके शरीर से ज़्यादा एक्सरसाइज या कैलोरी कम करने वाले काम नहीं कर पाते, जिसकी वजह से धीरे धीरे आपके शरीर पर चर्बी चढ़ती जाती है और मोटापा बढाती है.

सिरदर्द –
एसी इसका तापमान ज्यादा कम करने पर आपको सिरदर्द और चिड़चिड़ाहट महसूस हो सकती है क्योकि आपके दिमाग की नसें तापमान में बदलाव झेल नहीं पाती.

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सर्दी-
अगर आप एसी से निकलकर सामान्य तापमान या गर्म स्थान पर जाते हैं तो आप लंबे समय तक बुखार से पीड़ित हो सकते हैं. इतना ही नहीं इसका तापमान ज्यादा कम करने पर आपको सिरदर्द और चिड़चिड़ाहट महसूस हो सकती है. यह बुखार ज़ुकाम से शुरू होकर आपके दिमाग तक जा सकता है. गर्मियों में होने वाले दिमागी बुखार का कारण ज़्यादातर एसी से बाहर आना जाना ही होता है.

रूखी त्वचा-
इसका दुष्प्रभाव आपकी त्वचा पर भी दिखाई देता है. यह आपकी त्वचा की प्राकृतिक नमी समाप्त कर सकता है जिससे आपकी त्वचा में रूखापन महसूस होता है. खासकर चेहरे के त्वचा आपको खींची खींची लग सकती है. अगर आप ज़्यादा ऐसी में रहते हैं तो मॉश्चराइज़र का इस्तेमाल ज़रूर करें.

एसी के ज्यादा इस्तेमाल से आपकी त्वचा रुखी पड़ जाती है और इसमें इचिंग जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं या स्किन में खिंचाव महसूस कर सकते हैं.
हड्डियां –
लगातार एसी के कम तापमान में बैठना सिर्फ घुटनों की समस्या ही नहीं देता बल्कि आपके शरीर के सभी जोड़ों में दर्द के साथ-साथ अकड़न पैदा करता है और उनकी कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है. अपनी कुर्सी पर बैठे हुए ही छोटे छोटे व्यायाम आपको इस तरह की परेशानियों से बचा सकते हैं.

सांस लेने की क्षमता –
तापमान और आर्द्रता में अचानक परिवर्तन श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं. त्वचा पर इसका बेहद सूखा प्रभाव पड़ता है. एसी की हवा का संक्रमण अस्थमा जैसे रोगों को बढ़ा सकता है. धूल एलर्जी पैदा कर सकती है. एयर कंडीशनिंग से क्रोनिक राइनाइटिस और फेरींगिटिस हो सकता है जो गले की जलन और घावों से भी जुड़ा हुआ है.

आंखों में परेशानी-
आंख में कॉटेक्ट लेंस पहनने वालों के लिए भी समस्याएं पैदा हो सकती है.लेंस लगाने वाली आंखों में थोड़ा पानी होना ज़रूरी होता है. एय़र कंडीशनर आंखों को बिलकुल रूखा कर देता है, जिससे लेंस जल्दी ख़राब होते हैं और यहां तक कि इन्फेक्शन का खतरा भी होता है.

प्रतिरोधक क्षमता-
गर्मी सहन करने के लिए हमारे शरीर में पसीना प्रतिरोध क्षमता पैदा करता है. या तो हम गर्मी से सांस लेकर बचते हैं या पसीना बहाकर लेकिन ऐसी इन दोनों की क्षमताओं को काम करता है. इसलिए एसी से निकलकर जब भी हम बाहर जाते हैं हमें ज़्यादा गर्मी लगती है और बीमार पड़ने का खतरा ज़्यादा बढ़ जाता है.