नई दिल्ली. आपने फिल्मों में कई बार लोगों को दिल का दौरा पड़ते हुए देखा होगा, जिसमें एक्टर अपने सीने को जकड़ा रहता है और बेहद दर्द के कराण बेहोश होकर गिर पड़ता है। हालांकि, रियल लाइफ में पड़ने वाला हार्ट अटैक फिल्मों से काफी अलग होता है।

दिल का दौरा पड़ने पर ज़रूरी नहीं कि आपको दिल में ही दर्द होगा, यह और कहीं भी हो सकता है। इसलिए इसे साइलेंट हार्ट अटैक कहा जाता है। जिसका मतलब यह हुआ कि आपको पता ही नहीं चलेगा कि आपको हार्ट अटैक आ रहा है। ऐसे में इसके संकेत पहचानना ज़रूरी हो जाता है।

कई बार हार्ट अटैक में होने वाला दर्द अचानक और तेज़ होता है, जिससे आप इसे आसानी से पहचान सकते हैं और मदद ले सकते हैं। लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता। ज़्यादातर दिल के दौरों में सीने के बीचों-बीच हल्का दर्द या बेचैनी होती है। आप सीने में दबाव या जकड़न भी महसूस कर सकते हैं। यह लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे शुरू होते हैं और बंद होकर फिर शुरू हो सकता है।

दिल का दौरा सिर्फ दिल को भी प्रभावित नहीं करता बल्कि आपके पूरे शरीर पर इसका असर होता है। लेकिन इसी वजह से लोग हार्ट अटैक को समझ नहीं पाते हैं। दिल का दौरा पड़ने से पहले आप शरीर के इन हिस्सों में दर्द या फिर बेचैनी महसूस कर सकते हैं:

हाथों

पीठ

गर्दन

जबड़ा

पेट

यह लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर कई लोग हार्ट अटैक की वजह से हो रहे पीठ दर्द अपने चारों ओर एक रस्सी बंधी हुई भावना के रूप में बताते हैं। अगर आप भी इनमें से किसी लक्षण को महसूस करते हैं ,तो फौरन जांच कराएं।

कुछ सीढ़ियां चढ़ने के बाद ही अगर आपको ऐसा महसूस होता है कि आप भागकर आए हैं, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपका दिल शरीर के सभी हिस्सों तक ब्ल्ड को नहीं पहुंचा पा रहा है। सांस लेने में दिक्कत सीने में दर्द के साथ और इसके बिना हो सकती है और यह साइलेंट हार्ट अटैक का संकेत हो सकता है।

आपको चक्कर आ सकते हैं और आप बेहोश भी हो सकते हैं। ऐसा पुरुष और महिलाओं दोनों को महसूस हो सकता है, हालांकि, इस तरह का संकेत महिलाओं में आमतौर पर ज़्यादा देखा जाता है।

पसीने के साथ उठना, मतली आना और उल्टी फ्लू के लक्षण हो सकते हैं, लेकिन ये साइलेंट हार्ट अटैक के संकेत भी हो सकते हैं। हम सभी फ्लू के लक्षणों को अच्छी तरह पहचाने हैं, लेकिन जब यही लक्षण गंभीर लगने लगें, तो अपने दिल की बात सुनें और इन्हें इग्नोर न करें। इन संकेतों को सिर्फ फ्लू, तनाव या फिर मौसम में बदलाव के लक्षण समझकर न बैठ जाएं, ये इससे ज़्यादा गंभीर हो सकते हैं।