मुंबई। लंबे ड्रामे के बाद महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार ने बहुमत हासिल कर लिया। इन सबके बीच गोवा के होटल की एक दास्तां अधूरी रह गई थी। बागी शिवसेना विधायकों की मेजबानी करने वाले फाइव स्टार होटल डोना पाउला का किस्सा आपको बताते हैं। यहां एंट्री के लिए फर्जी आईडी का इस्तेमाल करने वाले दो लोगों को पुलिस ने पकड़ा था। पता चला कि ये शरद पवार की पार्टी एनसीपी से जुड़े हैं। कोर्ट से दोनों को जमानत मिल चुकी है। लेकिन इस कहानी में ट्विस्ट है। गिरफ्तार दोनों नेता 28 वर्षीय श्रेय कोठियाल देहरादून और हरियाणा के हिसार की निवासी 30 वर्षीय सोनिया दुहन थीं। दुहन वही एनसीपी नेता हैं जो ढाई साल पहले चर्चा में आई थीं। दुहन की वजह से ही गुरुग्राम के होटल से एनसीपी के चार विधायक पवार के खेमे में लौट आए थे।

पणजी पुलिस ने सोनिया दुहन और श्रेया कोठियाल को आईपीसी की धारा 419 (प्रतिरूपण) और 420 (धोखाधड़ी) के तहत गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बताया कि दोनों ने शुक्रवार को रिजॉर्ट में चेक इन किया और दुहन की आईडी फर्जी होने का शक हुआ तो होटल कर्मचारियों ने पुलिस को सूचित किया। यह वही रिजॉर्ट था, जहां पर शिवसेना के शिंदे गुट के बागी विधायक भी ठहरे हुए थे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एक अन्य पदाधिकारी धीरज शर्मा ने कहा कि दोनों पर्यटक के रूप में गोवा आए थे और वहां की बीजेपी सरकार उन्हें परेशान कर रही है। इस घटना के बाद सोनिया दुहन एक बार फिर चर्चा में आ गईं।

सोनिया दुहन 2019 में उस समय चर्चा में आईं जब उन्होंने गुरुग्राम के होटल से एनसीपी के चार विधायकों को बीजेपी के खेमे से निकाल लिया था। सोनिया दुहन एनसीपी के छात्र विंग नैशनलिस्‍ट स्‍टूडेंट कांग्रेस की अध्‍यक्ष थीं। गुरुग्राम के ओबरॉय होटल में विधायकों को रखा गया था। उन्‍होंने किसी से बात नहीं की थी। चार विधायकों दौलत दरोदा, जिरवाल नरहरि सीताराम, नितिन पवार और अनिल पाटिल पर नजर रखने के लिए 150 बीजेपी कार्यकर्ता लगाए गए थे। ये वही नरहरि जिरवाल हैं, जो महाराष्ट्र विधानसभा के डेप्युटी स्पीकर हैं और महाराष्ट्र के सियासी घमासान को लेकर काफी चर्चा में भी रहे। गुरुग्राम के होटल में प्रशासन और पुलिस की भी सभी आने-जाने वालों पर नजर थी। हालांकि सोनिया ने चारों विधायकों को वहां से निकाल लिया। 2019 में सफल हुईं सोनिया दुहन को इस बार भी असम से गोवा पहुंचे विधायकों को निकालकर शिवसेना के खेमे में वापस लाने का जिम्मा सौंपा गया लेकिन वह इस बार फेल हो गईं। हालांकि दुहन और एनसीपी का कहना है कि उनका वहां जाने का मकसद पर्यटन था।

एनसीपी यूथ विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज शर्मा ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘वे दोनों वहां पर्यटन के लिए गई थीं। गोवा की बीजेपी सरकार ने उन्हें बेवजह प्रताड़ित किया है। अधिकारी सोनिया पर लगातार नजर रख रहे थे क्योंकि 2019 में महाराष्ट्र में बीजेपी की तीन दिन की सरकार गिरने में उनकी अहम भूमिका थी। जब सोनिया गोवा पहुंचीं तो उन्हें पता चला कि होटल में कड़ी सुरक्षा है और महाराष्ट्र की किसी राजनैतिक आईडी के बगैर एंट्री नहीं हो रही थी। इसलिए दोनों ने कोठियाल की आईडी पर एंट्री की। बुकिंग उन्हीं के नाम पर थी। सोनिया ने श्रेय की पत्नी श्रुति नारंग की आईडी इस्तेमाल की। यह फर्जी नहीं थी।’ कोठियाल और दुहन को कोर्ट ने 20-20 हजार के बॉन्ड और इतने के ही गारंटर पर रिहा कर दिया।

सोनिया दुहन ने बताया कि कि वह हरियाणा के हिसार की रहने वाली हैं। वह पेटवाड़ के एक किसान परिवार से हैं। उनके पिता का नाम संसार सिंह था। मां का नाम संतरो देवी है। उनके पिता का 2013 में कैंसर से निधन हो गया। सोनिया तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उन्होंने हिसार जिले में स्थित अपने गांव के स्कूल में ही शुरुआती शिक्षा ली। हिसार के स्कूल से इंटरमीडिएट के बाद सोनिया ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से बीएससी की। बीएससी करने के बाद वह अंबाला आ गईं।

कुछ समय के लिए सोनिया ने पुणे में पायलट की ट्रेनिंग ली। इस दौरान एनसीपी के संपर्क में आईं। वह पायलट की ट्रेनिंग ले रही थीं, इसी दौरान पिता को कैंसर होने का पता चला। सोनिया को सबकुछ छोड़कर घर लौटना पड़ा क्योंकि वह घर की सबसे बड़ी थीं और उनके ऊपर जिम्मेदारियां आ गईं। सोनिया के पिता की 9 महीने बाद मौत हो गई।

सोनिया दुहन ने 21 साल की उम्र में एनसीपी जॉइन कर ली थी और इस तरह छात्र राजनीति में आईं। सोनिया ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के दो चुनावों में एनसीपी के स्टूडेंट्स विंग की अगुआई की। उन्हें एक बार एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष और फिर राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। वह एनसीपी की यूथ विंग में नैशनल प्रेसिडेंट भी रहीं। सोनिया दुहन अब गुरुग्राम में रहती हैं और यहां से एनसीपी के दिल्ली दफ्तर से जुड़ी रहती हैं।

सोनिया दुहन हफ्ते में तीन दिन अपने गांव में ही रहती हैं। उनकी मां भी गांव में रहती हैं। सोनिया गांव में अपने खेत संभालती हैं। खेत का काम भी करती हैं। गांव और आसपास गांव में बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने का काम करती हैं। सोनिया ने कहा कि हरियाणा के कई गांव हैं जहां लड़कियों को उतनी स्वतंत्रता नहीं है। वह लोगों को जागरूक करती हैं ताकि वे अपनी बच्चियों को पढ़ाएं और उन्हें आगे बढ़ने का मौका दें।