नई दिल्ली. यूपी में मॉनसून का इतना फीका आगमन हाल के वर्षों में देखने को नहीं मिला था. प्रदेश में मॉनसून को प्रवेश किए 20 दिन से ज्यादा हो चुके हैं लेकिन बारिश अभी तक रूठी हुई ही है. इस कमी से प्रदेश में सूखे के हालात बनते जा रहे हैं. गांव-गांव में धान की रोपाई बुरी तरह से प्रभावित हुई है.

अब तक धान की रोपाई हो जाया करती थी लेकिन, बारिश की कमी के कारण इसमें खलल पड़ा है. अंतिम सहारा बिजली के नलकूप ही बचे हैं. मौसम विभाग के बारिश के आंकड़े काफी सिहरन पैदा करने वाले हैं. लखनऊ स्थित मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार 1 जून से लेकर 10 जुलाई तक प्रदेश में करीब 60 फीसदी कम बारिश हुई है. सामान्य हालात में 10 जुलाई तक प्रदेश में 169 मिमी बारिश होनी चाहिए थी लेकिन, हुई महज 72 मिमी. यानी कुल 57 फीसदी की कमी. ऐसे हालात पिछले सालों में कम ही देखने को मिले हैं.

पूर्वी यूपी से लेकर पश्चिमी यूपी तक बारिश की कमी से हाहाकार मचा हुआ है. पूर्वी यूपी में सामान्य से 59 फीसदी कम बारिश हुई है. 10 जुलाई तक पूर्वी यूपी में 187 मिमी बारिश होनी चाहिए थी लेकिन, हुई सिर्फ 76 मिमी. धान की खेती के लिए मशहूर कई जिलों में तो हालात और बदतर हो चले हैं. बलरामपुर में 73 फीसदी, चंदौली में 60 फीसदी, गोरखपुर में 64 फीसदी, कौशाम्बी में 97 फीसदी और लखनऊ में 58 फीसदी कम बारिश हुई है. आजमगढ़ के किसान सुभाष सिंह ने कहा कि नर्सरी को तो कैसे भी तैयार कर लिया गया लेकिन, अब रोपाई कैसे करें. डीजल या बिजली के पंप से धान की रोपाई संभव नहीं दिखाई दे रही है.

यदि अगले एक हफ्ते में जमकर बरसात नहीं हुई तो धान की खेती चौपट समझिये. बलरामपुर के चौधरी जंगबहादुरपुर गांव के किसान अरूण चौधरी ने कहा कि मैंने धान की रोपाई तो करवा दी है, लेकिन बारिश के अभाव में खेती सूखती जा रही है. पंप चलाकर रोपाई तो करा दी लेकिन, धान की पौध को पंप चलाकर जिंदा रखना संभव नहीं दिखाई देता. अगले एक हफ्ते में अच्छी बारिश नहीं हुई तो रोप सूख जाएगी. इसका खर्चा भी पानी में चला जाएगा. यही हाल पश्चिमी यूपी का भी है. पश्चिमी यूपी में सामान्य से 53 फीसदी कम बारिश हुई है.

बुलंदशहर में 77 फीसदी, इटावा में 84 फीसदी, नोएडा में 87 फीसदी और मुजफ्फरनगर में 47 फीसदी कम बारिश हुई है. पंपिंग सेट चलाकर सिंचाई करना आसान नहीं रहा. डीजल की महंगाई के साथ -साथ दूसरी समस्याओं से सिंचाई और मुश्किल हो जाया करती है. चिंताजनक बात तो ये है कि अगले चार-पांच दिनों में तगड़ी बारिश का मौसम विभाग ने कोई अनुमान भी जारी नहीं किया है. यानी हालात जय के तस बने रह सकते हैं. यदि ऐसा होता है तो धान की रोपाई पर बहुत बुरा असर पड़ेगा.