बदायूं। बदायूं जेल में दूसरे जिलों से 13 खतरनाक कैदी ट्रांसफर होकर यहां लाए गए हैं। इससे जेल प्रशासन की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। सुबह शाम उनकी निगरानी की जा रही है। उनके लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल लगाया गया है, तो वहीं इन कैदियों को अलग बैरक में रखा गया है।

जेल में करीब साढ़े पांच सौ कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन वर्तमान हालात कुछ और हैं। इस समय जेल में करीब पंद्रह सौ बंदी/कैदी हैं। उनमें तमाम चाकू, तमंचा, डोडा, दहेज उत्पीड़न के मामलों में नामजद हैं। इसके विपरीत यहां सजायाफ्ता कैदियों की संख्या करीब पौने तीन सौ है। बदायूं जिले और आसपास इलाके के करीब 50-60 कैदी हत्याओं के मामलों में नामजद हैं, तो वहीं खतरनाक कैदियों की बात करें तो बदायूं जिले का कोई ऐसा कैदी या बंदी नहीं है। अब जेल में दूसरे जिलों से 13 खूंखार कैदी ट्रांसफर लाए गए हैं। इन कैदियों पर हत्या, लूट जैसे संगीन मामले दर्ज हैं। इनमें तीन कैदी नोएडा से आए हैं जबकि दो मुजफ्फरनगर, एक पीलीभीत, दो फर्रुखाबाद, दो शाहजहांपुर, दो बरेली और एक कासगंज जिले से। यह सभी कैदी खतरनाक हैं। इससे इनकी विशेष रूप से निगरानी की जा रही है। अलग से पुलिस बल लगाया गया है।

वर्ष 2018 में जेल से शातिर अपराधी सुमित फरार हो गया था। वह मुरादाबाद का रहने वाला है। उसने दिनदहाड़े ब्लॉक प्रमुख की हत्या की थी। उसके साथ गोरखपुर के शातिर अपराधी देवकी नंदन उर्फ चंदन सिंह ने भी फरार होने की कोशिश की थी। हालांकि उसे सफलता नहीं मिल पाई थी। उसके बाद जेल की दीवार पर तारकशी कराई गई थी।

वैसे तो जेल में आत्महत्या के तमाम मामले सामने आ चुके हैं लेकिन जहरीला पदार्थ खाकर जान देने का मामला वर्ष 2018 में सामने आया था। मई 2018 में शहर के हकीमगंज मोहल्ला निवासी बंदी असलम (48) और फैजगंज बेहटा थाना क्षेत्र के गांव नूरनगर कौड़िया निवासी बंदी शाहरुख (25) की जहरीला पदार्थ खाने से मौत हुई थी। उस दौरान जेल में जहराली पदार्थ पहुंचना भी जांच का विषय रहा।

इस समय जेल में पंद्रह सौ बंदी/कैदी हैं। अब 13 कैदी दूसरे जिलों से ट्रांसफर होकर आए हैं। यह कैदी सामान्य की तरह नहीं है। इनकी गिनती ज्यादा खतरनाक और खुराफातियों में है। इनके लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल लगाया गया है। निगरानी भी बढ़ाई गई है।