मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद् में चोर बाजारी को रोकने और पालिका की सम्पत्ति को सुरक्षित करने के लिए चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने दृढ़ संकल्प के साथ पालिका की भूमि को सुरक्षित करते हुए उनको जनहित में प्रयोग करने का काम किया है। उनके द्वारा पालिका की अवैध कब्जे से मुक्त कराई गई भूमि पर शहर का तीसरा श्मशान घाट निर्मित कराया और भारी विरोध तथा हंगामा और विवाद के बीच भी वह इस श्मशान घाट को शुरू कराने में सफल रही। अब इस श्मशान घाट की देखरेख और निगरानी के साथ ही इसके सहारे पालिका की आय बढ़ाने को चेयरपर्सन ने सभासदों की कमेटी गठित की है। इस कमेटी की अध्यक्ष स्वयं चेयरपर्सन होंगी। इसके साथ ही श्मशान घाट की आय एवं व्यय का ब्यौरा रखने के लिए दो लिपिकों की जिम्मेदारी तय करते हुए वहां पर शवों के दाह संस्कार और साफ सफाई के लिए 4 कर्मचारियों की ड्यूटी भी उनके द्वारा लगाई गयी है। श्मशान घाट की कमेटी गठित होने पर पालिका में एक बार फिर से हलचल तेज हो गयी है, क्योंकि इसके शुरू होने के करीब 22 महीनों तक श्मशान घाट के संचालन के लिए पालिका स्तर से कोई भी निगरानी नहीं की जा रही थी।
बता दें कि कपिल देव अग्रवाल के चेयरमैन रहते हुए जनकपुरी के पास पालिका प्रशासन द्वारा अपनी करीब चार बीघा भूमि को मुक्त कराया गया था, इस भूमि पर कपिल देव कोई जनहित का काम नहीं करवा पाये थे। इसके बाद पंकज अग्रवाल के समय में सपा सरकार के दौरान कान्हा गौशाला का निर्माण कराने की योजना आई और नगरपालिका ने इसी भूमि पर कान्हा गौशाला का प्रस्ताव शासन को भेजा, इसके लिए करोड़ों रुपये का बजट भी जारी कर दिया गया था, लेकिन यह पैसा कान्हा गौशाला के लिए खर्च नहीं किया जा सका। अंजू अग्रवाल के चेयरमैन बनने के बाद यहां डीएम रहे राजीव शर्मा ने कान्हा गौशाला प्रोजेक्ट पर काम किया, लेकिन वह भी कारगर साबित नहीं हो पाया।
पालिका की इस भूमि को सुरक्षित करने और जनहित में इसका उपयोग करने के लिए चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने यहां पर श्मशान घाट का निर्माण कराने के साथ ही बाहर दुकाने बनाने की योजना पर कदम बढ़ाया तो इस भूमि के आसपास मुस्लिम आबादी होने के कारण इसका विरोध होने लगा, लेकिन तमाम विरोध और विवाद को पार करते हुए चेयरपर्सन ने इस भूमि पर शहरवासियों को शहर का तीसरा मोक्ष धाम प्रदान करने का रास्ता साफ किया। श्मशान घाट का निर्माण होने के बाद यहां पर अंतिम संस्कार होने लगा, लेकिन पालिका प्रशासन अपने स्वामित्व वाले इस श्मशान घाट की देखरेख करने में लापरवाह साबित हुआ। ईओ सहित किसी अधिकारी ने वहां पर जाकर सुविधा और व्यवस्था का जायजा तक नहीं लिया। इसी के चलते कुछ बाहरी लोगों ने इस श्मशान घाट को अपनी बपौती समझकर काम करने शुरू कर दिया। जबकि करीब एक साल पूर्व पालिका बोर्ड मीटिंग में श्मशान घाट का संचालन पालिका स्तर कराने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया, लेकिन इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया।
अब चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने पालिका के इस श्मशान घाट की निगरानी के लिए सभासदों की कमेटी का गठन किया है। उन्होंने बताया कि 06 जुलाई 2021 को हुई बोर्ड बैठक में सर्वसम्मति से श्मशान घाट का संचालन करने के लिए प्रस्ताव संख्या 471 ;1द्ध पारित किया गया था। इसके बाद 18 जून 2022 को हुई बोर्ड मीटिंग में भाजपा सभासद विपुल भटनागर ने यह मामला उठाया। उन्होंने सवाल उठाये थे कि जब जनकपुरी का श्मशान घाट पालिका के स्वामित्व में है तो इसका संचालन करने के लिए कमेटी क्यों नहीं बनी? इसमें दुकानांे का किराया कौन वसूलेगा? सभासद ओम सिंह पाल ने कहा था कि श्मशान घाट में दाह संस्कार के लिए सफाई कर्मियों को तैनात करने की बात पालिका प्रशासन स्तर से कही गयी थी, लेकिन कोई नहीं तैनात किया गया है। यह भी प्रस्ताव पारित हुआ था कि गरीब व्यक्तियों का दाह संस्कार पालिका स्तर से निःशुल्क कराया जायेगा। उन्होंने संचालन समिति बनाने की मांग की, इनका समर्थन सभासद अरविन्द धनगर, प्रेमी छाबडा, अमित कुमार, सलेक चंद, हनी पाल द्वारा किया गया। प्रस्ताव संख्या 617 के तहत कमेटी गठन का अधिकार सदन ने चेयरपर्सन को सौंपा था। अब चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने जनकपुरी श्मशान घाट के संचालन के लिए अपनी अध्यक्षता में 11 सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति में चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल अध्यक्ष, जबकि सभासद अरविन्द धनगर, प्रेम कुमार, विपुल भटनागर, अमित कुमार, ओम सिंह, सलेक चंद, पूनम शर्मा, ममतेश, रानी सक्सेना और सुषमा पुंडीर को सदस्य नामित किया गया है। इसके साथ ही चेयरपर्सन ने श्मशान घाट के आय-व्यय का ब्यौरा रखने के लिए लिपिक राजीव कुमार वर्मा और मनोज पाल को अपने पदीय दायित्व के साथ ही अतिरिक्त दायित्व सौंपा है। ये लिपिक श्मशान घाट में दाह संस्कार में लगे कर्मचारियों पर नियंत्रण रखने, कमेटी के दिशा निर्देशन में दाह संस्कार के लिए लकड़ी आदि की व्यवस्था करने का काम करेंगे। इसके साथ ही चेयरपर्सन ने श्मशान घाट में दाह संस्कार और सफाई व्यवस्था के लिए 4 आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की तैनाती करने के आदेश भी जारी किये हैं।
मुजफ्फरनगर शहर क्षेत्र में अब तक केवल दो ही श्मशान घाट थे। इनमें से एक शहर के नदी घाट स्थित आत्मबोध पर स्थित है, जबकि दूसरा नई मंडी में भोपा बस स्टैंड के सामने विश्वकर्मा चौक पर स्थित है। लगातार बढ़ रही शहर क्षेत्र की आबादी के बीच एक नए श्मशान घाट की आवश्यकता लगातार महसूस की जा रही थी, जिसके लिए कुछ समय पूर्व शहर के रुड़की रोड स्थित मोहल्ला जनकपुरी कालोनी में करीब चार बीघा जमीन को चिह्नित किया गया था। इस जमीन पर श्मशान घाट बनाए जाने के प्रस्ताव का एक वर्ग के लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा था। कई बार इसे लेकर तनाव के हालात भी बने, लेकिन चेयरपर्सन के प्रयासों के चलते इस श्मशान घाट का निर्माण पूरा हो गया। 30 सितम्बर 2020 को इस नवनिर्मित श्मशान घाट में क्षेत्र की 94 वर्षीय महिला के शव का अंतिम संस्कार कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ और इस श्मशान घाट की शुरूआत हो गई थी। शहर के रुड़की रोड, आनंदपुरी, रामपुरी, जनकपुरी, इंद्रा कालोनी, कच्ची सड़क समेत एक दर्जन से अधिक कालोनी के लोग अब तक अंतिम संस्कार के लिए नदी रोड स्थित श्मशान घाट ही शव ले जाते थे। इसके लिए कई बार तो करीब तीन से पांच किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती थी। शहर में नया श्मशान घाट शुरू होने के बाद इस आबादी क्षेत्र के लोगों को काफी राहत मिली। इसमें फिलहाल चार शवों का एक साथ अंतिम संस्कार किए जाने के स्थान निर्मित किए गए हैं। सितम्बर 2020 से आज तक करीब 22 महीनों से इस श्मशान घाट पर दूसरे लोग ही काबिज रहे हैं, सूत्रों का दावा है कि इनमें कुछ सभासद भी सीधा दखल बनाये हुए थे, जबकि उनको किसी भी कमेटी में अधिकृत रूप से नामित नहीं किया गया। अब कमेटी का गठन होने से इस श्मशान घाट को अपनी बपौती समझने वाले ऐसे लोगों का पत्ता साफ होगा। इस श्मशान घाट से ही पूर्व में शवों के साथ आने वाली चादरों की बंदरबांट और चोरी का मामला भी सामने आया था।
जनकपुरी में पालिका के द्वारा अपनी भूमि पर स्थापित कराये गये शहर के तीसरे श्मशान घाट की देखरेख और रख-रखाव के साथ ही श्मशान की आय व्यय तथा यहां पर गरीबों का निःशुल्क दाह संस्कार कराने की व्यवस्था बनाने को चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल के द्वारा गठित समिति से अंदरूनी स्तर पर काफी हलचल मची हुई है। इसके लिए कमेटी गठन का मामला आरएसएस के एक नेता तक भी पहुंचा और आरएसएस नेता ने कई भाजपा सभासदों को अपने आवास पर बुलाकर प्रकरण की जानकारी ली। बता दें कि श्मशान के रखरखाव के लिए 18 जून 2022 की बोर्ड मीटिंग में भाजपा सभासद विपुल भटनागर ने ही आवाज उठाई थी। उनकी आवास को भाजपा के दूसरे सभासदों प्रेमी छाबड़ा, हनीपाल आदि ने भी सहारा दिया। इसी के चलते कुछ दूसरे सभासदों ने इस बात पर ऐतराज जताया कि भाजपा के सभासदों ने श्मशान घाट की कमेटी गठन की आवाज बोर्ड मीटिंग में उठाई। श्मशान घाट में अपना दखल रखने वाले कुछ सभासदों ने इसकी शिकायत आरएसएस के नेता से की और उन्होंने आवाज उठाने वाले सभासदों को तलब कर लिया। सूत्रों का कहना है कि अब कमेटी गठन को लेकर भी हलचल तेज है। चेयरपर्सन के विरोधी भी इसको लेकर उनेक खिलाफ मोर्चाबंदी में लग गये हैं।