मुजफ्फरनगर। टिपर वाहनों की आपूर्ति, वॉल पेंटिंग और सीएमओ ऑफिस के पास कचरा एकत्र कराने के कक्ष के निर्माण प्रकरण में शिकायतों के बाद शासन ने पालिकाध्यक्ष अंजू अग्रवाल के वित्तीय अधिकार सीज कर दिए हैं। एडीएम प्रशासन नरेंद्र बहादुर सिंह ने इसकी पुष्टि की है। उधर, अग्रवाल का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं है।
शासन के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने वित्तीय अधिकारी सीज करने के संबंध में पत्र जारी किया है। इसमें पालिकाध्यक्ष की ओर से शासन के निर्देशों की अवहेलना करने, निर्धारित समयावधि में नोटिस का जवाब उपलब्ध नहीं कराने और पालिका परिषद को वित्तीय हानि पहुंचाने के आरोप लगाए गए हैं।
सभासद राजीव शर्मा ने इस मामले की शिकायत की थी। इसके बाद पालिकाध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस दिया गया था। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत वॉल पेंटिंग और अन्य कार्यों की शिकायत के बाद जांच कराई गई थी, जिसमें पालिकाध्यक्ष को वित्तीय अनियमितताओं का दोषी पाया गया था।
दो साल पुराने पालिका के 35 टिपर वाहन खरीद मामले की गूंज लखनऊ तक हुई थी। मई 2020 में नगर पालिका ने 35 गारबेज टिपर वाहन खरीद के लिए टेंडर जारी किए थे। इसके लिए मैसर्स गोल्डन ट्राइंगल सर्विसेज फर्म को टेंडर स्वीकृत हुआ था। फर्म की ओर से केवल 11 वाहनों की डिलीवरी की गई, जबकि पालिका प्रशासन ने 82 लाख रुपये का फर्म को अग्रिम भुगतान कर दिया। नियमानुसार और टेंडर की शर्त के आधार पर 35 वाहनों की खरीद सुनिश्चित होने के साथ ही पालिका में वाहनों की आपूर्ति हो जाने पर यह भुगतान होना था।
कंपनी के खिलाफ शहर कोतवाली में 82 लाख रुपये का गबन करने के मामले में फर्म और ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज है। शासन ने सरकारी संपत्ति को लेकर लापरवाही माना है। इनमें भी चार या पांच टिपर ही प्रयोग किए जा रहे हैं। कंपनी की ओर से निविदा की सभी शर्तों को पूरा नहीं किया गया है। इसके अलावा वॉल पेंटिंग में पालिकाध्यक्ष का नाम लिखवाना और चित्र बनवाने को शासन ने गलत माना है। विज्ञापनों का प्रकाशन भी राष्ट्रीय समाचार पत्रों के बजाए स्थानीय समाचार पत्रों में कराया गया।
शिकायतकर्ता सभासद राजीव शर्मा और मनोज वर्मा का कहना है कि चेयरपर्सन ने जो भ्रष्टाचार किया था, वह सबके सामने हैं। पार्किंग की नीलामी को लेकर भी रिकवरी जारी की गई थी। शासन में जांच चल रही है, आने वाले दिनों में और कई मामले खुलेंगे। प ालिकाध्यक्ष अंजू अग्रवाल का कहना है कि अभी तक उन्हें शासन के आदेश की जानकारी नहीं है। वह पूरी जानकारी होने के बाद ही कुछ कह सकेंगी।