नई दिल्ली. कोरोना महामारी के बाद मंकीपाक्स पूरे विश्व के लिए नया संकट बन चुका है। WHO ने इस बिमारी को ग्लोबल हेल्थ इंमरजेंसी घोषित किया है। भारत में केरल, दिल्ली, बिहार के बाद गाजियाबाद में मंकीपाक्स का चौथा संदिग्ध मरीज मिला जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है।
केंद्र सरकार के निर्देश के बाद सभी राज्यों में मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए नोडल अल्पताल या डेडीकेटेड सेंटर बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। दिल्ली में लोक नायक अस्पताल को नोडल अस्पताल बनाया है। मगर इस नई बिमारी से जुड़े लक्षणों को लेकर लोगों के बीच कई अफवाहें है। विशेषज्ञों का इसको लेकर क्या कहना है आइए जानते हैं।
इस बारे में डा. सुरेश कुमार बताते हैं कि मंकीपाक्स कोई घातक बीमारी नहीं है। बुखार, सिर दर्द, शरीर में दर्द, बॉडी पर लाल दाने, कमजोरी इसके लक्षणों में शामिल है। मंकीपॉक्स होने के दो से तीन सप्ताह में मरीज ठीक हो जाता है।
अगर मरीज को सीने में संक्रमण या निमोनिया हो जाए, तो ठीक होने में एक दो सप्ताह अधिक लगते हैं। डाक्टर ने बताया कि जरूरी नहीं कि संपर्क में आने वाले व्यक्ति में ये सभी लक्षण मौजूद हों।
विशेषज्ञों के अनुसार, मंकीपॉक्स एक ‘जूनोटिक’ बिमारी है जो एक प्रजाति से दूसरे में फैलती है। यह वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करता है। मंकीपॉक्स से पीड़ित जानवर या व्यक्ति के शरीर से निकले संक्रमित फ्लूइड के संपर्क में आने से फैलता है। चूहों, गिलहरियों और बंदरों से इसके फैलने का खतरा अधिक है।
मंकीपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति द्वारा छुई हुई चीजों को छूने से वायरस का संक्रमण हो सकता है। इसे अलावा संक्रमित जानवर के काटने से, उसके खून से या मांस खाने से भी हो मंकीपॉक्स होने का खतरा रहता है।
डा सुरेश ने बताया कि मंकीपॉक्स के इलाज के लिए अलग से कोई दवा या विशिष्ट इलाज नहीं है। बुखार में इस्तेमाल होने वाला पैरासिटामोल मरीजों को दिया जाता है।
इससे बचाव के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करना बेहद जरूरी है। जिसमें मंकीपाक्स से संक्रमित होने या लक्षण नजर आने पर सबसे पहले डाक्टर से सलाह शामिल है। साथ ही मरीज को तत्काल आइसोलेट करने की सलाह दी जाती है। जांच में वायरस की पुष्टि होने पर डाक्टरों द्वारा दी गई दवाईयां और निर्देशों का पालन जरूरी है।