वाशिंगटन. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के खिलाफ दुनियाभर को एकजुट करने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के अभियान को न केवल चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों, बल्कि दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले लोकतांत्रिक देश भारत से भी चुनौती मिल रही है. यूक्रेन पर हमले के बाद से ही पश्चिमी देश रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए हैं. अमेरिका ने रूस पर कई बड़े प्रतिबंध लगाए हुए और दुनिया के तमाम देशों से प्रतिबंधों का समर्थन करने को कहा है. इसी बीच खबर सामने आई है कि भारत रूस से अब सस्ते दाम में तेल खरीदेगा. इस मामले पर शुक्रवार को अधिकारी की तरफ से बड़ा बया दिया गया.

भारत के एक सरकारी अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि भारत रूसी तेल के आयात को बढ़ाकर ऊर्जा आपूर्ति पर छूट को बढ़ावा देगा, क्योंकि इसकी अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस महामारी से उबरने के लिए संघर्ष कर रही है. अधिकारी ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा कि नवीनतम खरीद 30 लाख बैरल की है.

हालांकि भारत रूस से ऊर्जा का आयात करने वाला अकेला देश नहीं है. जर्मनी जैसे अमेरिका के कई यूरोपीय सहयोगी देश भी ऐसा कर रहे हैं. इन देशों के इस फैसले से प्रतिबंध लगाकर रूसी अर्थव्यवस्था को अलग-थलग करने के बाइडन के प्रयासों को धक्का लगा है.

भारत का रूस से तेल खरीद बढ़ाना अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना सकता है, जिसका संकेत भारत द्वारा हाल ही में उन्नत रूसी वायु रक्षा प्रणालियों की खरीद के दौरान मिल चुका है. व्हाइट हाउस अभी भी इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या उस खरीद के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाए जाएं. ऐसे में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद इस मामले में नया मोड़ आ गया है.