मुजफ्फरनगर| मुजफ्फरनगर कोर्ट ने 22 साल पुराने हत्या के मामले में सुनवाई करते हुए साक्ष्य के अभाव में आरोपित को बरी कर दिया। आरोपित 10 माह से जेल में निरुद्ध था। अभियोजन के अनुसार 23 सितंबर 2001 को थाना छपार क्षेत्र के गांव बसेड़ा में एक डेरे पर रात के समय एक व्यक्ति की हत्या हो गई थी।

इस मामले में मृतक के नाना ससुर पटोरा ने मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया था कि रात के समय वह सोया हुआ था। उसकी बड़ी बेटी का दामाद फरमान पुत्र गनी भी बराबर की झोंपड़ी में सो रहा था। बताया था कि रात के समय 3 बदमाश शगुनचंद पुत्र अतर सिंह, जीता पुत्र हरपाल और फरमान पुत्र सईद ने घर में प्रवेश किया। आरोप था बदमाशों में से सगुनचंद ने उसकी बेटी के दामाद फरमान को सोते समय गोली मार दी थी। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। हत्याकांड के बाद बदमाश मौके से फरार हो गए।

बचाव पक्ष के अधिवक्ता सतवीर मलिक ने बताया कि हत्याकांड के मामले में मुख्य आरोपित सगुन चंद सहित दो बदमाश 21 साल पहले ही साक्ष्य के अभाव में बरी हो चुके हैं।

सतवीर मलिक ने बताया कि करीब 22 वर्ष तक फरार चलने के बाद पुलिस ने तीसरे हत्यारोपित फरमान पुत्र सईद निवासी गांव कैथोड़ा थाना मीरापुर को 28 नवंबर 2022 को अरेस्ट कर लिया था। वह उस समय मीरापुर के भट्ठे से बुग्गी में ईंट भरकर ले जा रहा था, तो पुलिस ने फरमान को अरेस्ट किया। जिसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया था। जहां से उसे जेल भेज दिया गया था।

सतबीर मलिक ने बताया कि मुकदमे की सुनवाई एडीजे-9 कनिष्क कुमार सिंह ने की। मुकदमे में मृतक की पत्नी फरमाना ने तीसरे आरोपित फरमान को हत्यारोपी के रूप में पहचानने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद अभियोजन की याचना पर फरमाना को पक्षद्रोही घोषित किया गया। कोर्ट ने आरोपित फरमान को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। 10 माह जेल में रहने के बाद फरमान रिहा हो गया।