मुजफ्फरनगर.जिला बार एवं सिविल बार के अधिवक्ताओं ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा न्याय शुल्क पर दस गुना टिकट की वृद्धि किए जाने का विरोध किया है। कलेक्ट्रेट में मुख्यमंत्री के नाम डीएम को ज्ञापन दिया गया।

कलेक्ट्रेट पहुंचे जिला बार एवं सिविल बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों और अधिवक्ताओं ने प्रदेश सरकार के न्याय शुल्क बढ़ाए जाने का विरोध किया। मुख्यमंत्री के नाम डीएम को ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा न्याय शुल्क पर दस गुणा टिकट वृद्धि की गयी है। आम जनता को सस्ता व सुलभ न्याय दिये जाने के सिद्धांत को सरकार ने एक तरीके से समाप्त ही कर दिया है, जिससे वादकारियों को अत्यंत विषम आर्थिक परिस्थिति से गुजरना पड़ रहा है। न्याय शुल्क में की गयी इस प्रकार की मूल्य वृद्धि के विरोध में एक अक्टूबर 2021 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों व तहसील बार एसोसिएशन के अधिवक्तागण न्यायिक कार्यों से विरत रहे थे, जिसके पश्चात अब पुन: न्याय शुल्क मूल्य में वृद्धि करते हुए सभी जनपद में लागू कर दी गयी है।

इसके अतिरिक्त रैंट कंट्रोल एक्ट अधिनियम संख्या 13 सन 1972 को निरस्त कर उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन अधिनियम 2021 लागू किया है, जो 2021 से लागू है। इस अधिनियम में वादों की सुनवाई का क्षेत्राधिकार एडीएम को दे दिया गया है, जिससे वादकारी को न्याय मिलने की संभावनाऐं समाप्त हो गयी है। जिला बार संघ के अध्यक्षी वसी अंसारी, महासचिव सुरेंद्र कुमार मलिक, सिविल बार एसोसिएशन के प्रतिनधि मंडल में मनोज कुमार, सुनील मित्तल शामिल रहे।