मुजफ्फरनगर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की मांग को लेकर आज फिर अधिवक्ताओं ने केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान के आवास पर जाकर प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन उनको सौंपते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना कराये जाने की मांग की।
शनिवार को हाई कोर्ट बेंच केंद्रीय संघर्ष समिति पश्चिम उत्तर प्रदेश के आह्वान पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की मांग के संदर्भ में सिविल बार एसोसिएशन,मुजफ्फरनगर मे एक आम सभा संचालित की गई, जिसमे महासचिव ब्रिजेंद्र सिंह मलिक द्वारा अवगत कराया गया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों का क्षेत्राधिकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय में है जो कि 500 किलोमीटर से लेकर 750 किलोमीटर की दूरी पर है तथा सस्ता व सुलभ न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित वादों का 52ः भाग केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 22 जिलों से हैं ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता को सस्ता व सुलभ न्याय प्राप्त नहीं हो पा रहा है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता 45 वर्षों से अधिक हाईकोर्ट बैंच की मांग कर रही है तथा आंदोलनरत चली आ रही है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनसंख्या वर्तमान में तकरीबन 8 करोड़ के लगभग है तथा उच्च न्यायालय की खंडपीठ अब तक स्थापित नहीं की गई है।
कुछ और राज्य ऐसे हैं कि जिन की जनसंख्या लगभग पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बराबर है उन राज्यों में मात्र उतनी जनसंख्या पर हाईकोर्ट खंडपीठ है यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ राज्य एवं यूनियन टेरिटरीज जिनकी जनसंख्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लगभग 5 वे भाग से भी कम है। उनमें भी हाईकोर्ट खंडपीठ है कुछ स्थानों पर तो मात्र 1 करोड़ की जनसंख्या पर या तो हाईकोर्ट है या हाईकोर्ट की खंडपीठ है फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अपेक्षित क्यों है? शीघ्र व त्वरित न्याय प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हाईकोर्ट की दूरी यहां के वादकारियो के लिए जस्टिस एट दी डोर स्टेप की सरकार की नीतियों के विरुद्ध हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की निरीह जनता एवं वादीगण हाईकोर्ट बेंच की स्थापना हेतु संघर्षरत है अतीत से आंदोलन हो रहे हैं तथा प्रत्येक जनपद में पिछले 45 वर्ष की अवधि से अधिक से प्रत्येक शनिवार को अधिवक्तागण/जनता द्वारा न्यायालयों का बहिष्कार जारी है। जब गांव स्तर पर अदालत बनाने हेतु निर्णय हो चुका है तो फिर उच्च न्यायालय की खंडपीठ स्थापना में देरी क्यों? इस सभा के बाद सभी अधिवक्ता एकजुट होकर जुलूस के रूप में एटूजेड कालौनी में पहुंचे और वहां पर केन्द्रीय राज्यमंत्री के आवास पर प्रदर्शन किया।
केंद्रीय संघर्ष समिति के प्रस्ताव के अनुपालन मे हाई कोर्ट बेंच के समर्थन में एक ज्ञापन प्रधानमंत्री, भारत सरकार, को केंद्रीय राज्य मंत्री, भारत सरकार डॉक्टर संजीव बालियान के माध्यम से प्रेषित किया गया तथा मंत्री से आग्रह किया गया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बेंच स्थापित कराने के लिए अपने स्तर से पुरजोर कार्यवाही करें। मंत्री डॉ संजीव बालियान द्वारा आश्वासन दिया गया कि वह शुरू से ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बेंच के समर्थक रहे हैं तथा हमेशा अपने स्तर से इसके लिए प्रयासरत रहे हैं। इस संदर्भ में महासचिव ब्रिजेंद्र सिंह मलिक द्वारा मंत्री से केंद्रीय संघर्ष समिति के एक डेलिगेशन को माननीय कानून मंत्री, भारत सरकार से भी मिलवाने का अनुरोध किया गया।
इस अवसर पर श्यामवीर सिंह, ठाकुर संदीप सिंह, अमित चौधरी, सत्येंद्र कुमार, अनिल कुमार,प्रवीण खोकर, नेत्रपाल सिंह, हरीश सैनी, अरविंद, राज सिंह रावत, अनुराग त्यागी, आदेश सैनी, सतेंद्र कुमार, रामवीर सिंह, सुधीर गुप्ता, सौरभ पवार, सोहनलाल, अशोक कुशवाहा, धीरेन कुमार, नीरज ऐरन, अनुराग त्यागी, अर्जुन सिंह, संत कुमार अहलावत, राकेश पाल, आनंद कुमार, विजय स्वरूप, प्रवेश कुमार, वागीश प्रताप आदि अधिवक्तागण उपस्थित रहे।