जापान में वैज्ञानिकों ने एक अज्ञात वायरस की पहचान की है। यह वायरस इंसानों को संक्रमित कर सकता है और इसके फैलने के लिए टिक्स जिम्मेदार हैं। इसे येजो वायरस नाम दिया गया है और माना जा रहा है कि यह टिक के काटने से फैलता है। लक्षणों की बात करें तो बुखार और खून में प्लेटलेट्स और ल्यूकोसाइट्स का कम होना इसके प्राथमिक लक्षणों में शामिल है। जापान के Hokkaido University in Sapporo के शोधकर्ताओं ने नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में अपनी रिसर्च को छापा है।
होक्काइडो यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ज़ूनोसिस कंट्रोल के एक वायरोलॉजिस्ट के अनुसार जापान में कम से कम सात लोगों ने 2014 से वायरस की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इस बात का शुक्र है कि किसी की मौत की पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि जापानी विशेषज्ञों का मानना है कि इसके प्रसार के बारे में अधिक जानने के लिए होक्काइडो के बाहर वायरस की जांच की जानी चाहिए।
प्रोफेसर मात्सुनो ने कहा कि येज़ो वायरस के संक्रमण के जितने भी मामले हम अब तक सामने आए हैं, वे सभी घातक नहीं थे। लेकिन इसके होक्काइडो के बाहर पाए जाने की संभावना है। इसलिए हमें इसके प्रसार की तत्काल जांच करने की आवश्यता है। येजो वायरस की पहचान के रूप में की गई है। इस साल की शुरुआत में चीन के वैज्ञानिकों ने भी ऑर्थोनायरोवायरस के एक नए रूप की पहचान की थी। इसे सोंगलिंग वायरस (एसजीएलवी) नाम दिया गया है।
जापानी शोधकर्ताओं ने पहली बार येज़ो वायरस की पुष्टि तब की जब एक 41 वर्षीय व्यक्ति को बुखार और पैर में दर्द के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इससे पहले क्रीमिया में अजोव सागर के किनारे Arabat Spit पर हजारों मरे हुए पक्षियों की कतारें देखी गई थीं। वैज्ञानिकों का मानना है कि एक नया वायरल संक्रमण बड़े पैमाने पर पक्षियो की मौत का कारण हो सकता है।