चीनी मिल खतौली की सहकारी गन्ना विकास समिति अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों ने हेराफेरी कर सट्‌टे से अधिक 2 हजार कुंतल गन्ने की आपूर्ति कर किसानों को चूना लगा दिया। शासन के आदेश पर हुई जांच में समिति पदाधिकारियों का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ।

जिसके उपरांत गन्ना आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी ने दोषियों पर कार्रवाई का आदेश दिया है। जिससे समिति अध्यक्ष तथा अन्य दोषी पदाधिकारियों को 3 वर्ष तक समिति चुनाव से वंचित रहना पड़ेगा। गन्ना आयुक्त ने जिला गन्ना अधिकारी आरडी द्विवेदी की जांच रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए कार्रवाई के आदेश जारी किये।

खतौली चीनी मिल सहकारी गन्ना विकास समिति के पूर्व चेयरमैन ऋषिपाल सिंह ने शासन में शिकायत करते हुए आरोप लगाया था कि समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ओमवीर सिंह, संचालक सदस्य प्रशांत कुमार व राम निवास ने निर्धारित सट्‌टे से अधिक गन्ने के आपूर्ति की। आरोप था कि उक्त लोगों ने समिति दस्तावेजों में वास्तविक से अधिक जमीन दर्शाकर निर्धारित से अधिक गन्ना सट्‌टा प्राप्त किया।

जिसके उपरांत पैरोई सत्र 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में राजस्व अभिलेखों में दर्ज भूमि से अधिक भूमि दर्शा कर हेरा फेरी की और 2000 कुंतल से अधिक गन्ने की आपूर्ति की गई। शिकायत का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए शासन ने उक्त प्रकरण की जांच जिला गन्ना अधिकारी शामली तथा उसके बाद जिला गन्ना अधिकारी मुजफ्फरनगर से कराई। शुरुआत में प्रकरण की जांच जिला गन्ना अधिकारी शामली विजय बहादुर को दी गई थी।

उन्होंने जांच पूर्ण कर शासन को प्रेषित कर दी थी। शासन स्तर से उक्त जांच पर संतुष्टि व्यक्त नहीं की गई। जिसके उपरांत बाकी तथ्यों की स्पष्ट रूप से जांच करने की जिम्मेदारी जिला गन्ना अधिकारी मुजफ्फरनगर आरडी द्विवेदी को सौंपी गई। उन्होंने सभी तथ्यों पर विस्तृत जांच कर रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी थी।

जिला गन्ना अधिकारी आरडी द्विवेदी ने बताया कि शासन के आदेश पर अंतिम तौर से प्रकरण की जांच उन्होंने ही की थी। बताया कि सभी तथ्यों पर बारीकी से जांच कर रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी गई थी। बताया कि जांच के दौरान आरोपी समिति अध्यक्ष ने सफाई दी थी कि उन्होंने कुछ जमीन खरीदी थी।

जिसका बैनामा नहीं हो पाया था। जमीन पर उन्हीं का कब्जा था और गन्ने की फसल भी वही ले रहे थे। लेकिन बैनामा न होने के कारण उक्त भूमि पर गन्ने की पैदावार उनके नाम के दस्तावेजों में दर्ज नहीं हुई। जिसके चलते बांड यानी सट्‌टे से अधिक गन्ने की आपूर्ति दस्तावेजों में दर्ज हुई।

सहकारी गन्ना विकास समिति खतौली की प्रबंध समिति के सदस्यों तथा उनके परिवार के लोगों ने गन्ना समिति खतौली के अभिलेखों में हेर-फेर कर गन्ने की अवैध आपूर्ति की।

अनियमित गन्ना आपूर्ति करने, राजस्व अभिलेखों में फर्जी आंकड़े अंकित कराने एवं अनियमित आपूर्ति के आरोप जांच में सिद्ध पाए गए।

निर्धारित सट्‌टे से अधिक गन्ना आपूर्ति किये जाने के कारण उप्र. सहकारी गन्ना समिति अधिनियम, 1995 की धारा 38-1 के तहत संचालक सदस्य पद के निर्वाचन के लिए भी किया जा सकता है अनर्ह।

भ्रष्टाचार की पर जीरो टालरेंस की नीति का अनुसरण करते हुए सहकारी गन्ना विकास समिति के अध्यक्ष, संचालक, सदस्य व उनके परिवार के सदस्यों पर कार्रवाई की गई। जिसके तहत वे अगले 3 वर्ष तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे।