सूत्रों के मुताबिक, बैठक में शाह ने यह भी कहा कि अगर इस आंदोलन में ऐसे तत्वों की घुसपैठ नहीं होती तो सरकार के कानूनों को डेढ़ साल के लिए स्थगित करने और सर्वपक्षीय कमेटी के गठन के प्रस्ताव के बाद आंदोलन खत्म हो गया होता।

बैठक में गणतंत्र दिवस के बाद यूपी, हरियाणा, राजस्थान में लगातार हो रही किसान पंचायत को ले कर भी चर्चा हुई। पार्टी नेतृत्व और सरकार आंदोलन के जाट बिरादरी तक गहरे तक पहुंच जाने से चिंतित है।

बैठक के दौरान इन किसान पंचायतों के संदर्भ में फीडबैक लिया गया। केंद्रीय नेताओं ने इन पंचायतों के जमीनी असर की भी जानकारी ली। बैठक में रणनीति बनी कि खासतौर से जाट बिरादरी को सही स्थिति की जानकारी देना जरूरी है। यही कारण है कि इस बिरादरी से ही जुड़े नेताओं को इस आशय की जिम्मेदारी सौंपी गई।
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