तमिलनाडू। सोचिए कि रात को अपने दोस्तों से बात करने के बाद आप आराम से सो जाएं और फिर सुबह उठें तो आपके फोन पर कोई कॉल ही न आ रहे हों.. आपका फोन नंबर अचानक अपने आप ब्लॉक हो गया हो! डर-सा लगा न? अगर आपको यह सोचकर डर लग रहा है तो हम आपको बता कि हाल ही में एक शख्स के साथ ऐसा हुआ है. सुबह उठने पर अपना फोन नंबर ब्लॉक्ड पाकर ये शख्स सकपका गया है और आपको बता दें कि ये मामला कोर्ट तक गया. कोर्ट ने इस व्यक्ति को मालामाल कर दिया. आइए जानते हैं कि आखिर माजरा क्या था..

अगर आप सोच रहे हैं कि हम किस मामले की बात कर रहे हैं तो हम आपको बता दें कि हाल ही में तमिल नाडु में यह घटना घटी है. हुआ यह कि तमिल नाडु में एक व्यक्ति ने सुबह उठकर देखा कि उनका फोन नंबर ब्लॉक कर दिया गया है. यह देखर जब व्यक्ति ने अपने टेलीकॉम ऑपरेटर को फोन किया तो उन्हें पता चला कि उनका नंबर कंपनी ने न सिर्फ ब्लॉक किया है बल्कि उसे किसी दूसरे ग्राहक को अलॉट भी कर दिया है. ये व्यक्ति इतना नाराज हुए कि इन्होंने अपने टेलीकॉम ऑपरेटर के खिलाफ कन्ज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज कर दी.

जैसा कि हमने आपको अभी बताया, ये व्यक्ति मामला लेकर कन्ज्यूमर कोर्ट पहुंच गया जहां तहकीकात के बाद पता चला कि गलती कंपनी की है क्योंकि उन्होंने बिना किसी वॉर्निंग या एक्स्प्लेनेशन के नंबर को ब्लॉक कर दिया और फिर वो नंबर किसी और को भी दे दिया. टेलीकॉम ऑपरेटर को इसका भारी हरजाना चुकाना पड़ा. कमिशन के कहने पर, टेलीकॉम ऑपरेटर ने सर्विस में कमियों की वजह से ग्राहक को 25 हजार रुपये दिए, इसके अलावा कंपनी ने उस व्यक्ति को 30 हजार रुपये और दिए क्योंकि उनके इस कदम से व्यक्ति के सभी कॉन्टैक्ट्स खो गए और उन्हें मानसिक परेशानी भी झेलनी पड़ी और 5 हजार रुपये और देने पड़े जिससे उस व्यक्ति के सारे कानूनी खर्च निकल सकें.

कुल मिलाकर टेलीकॉम ऑपरेटर ने बिना वॉर्निंग के नंबर को ब्लॉक करने और फिर उस नंबर को किसी और को देने की वजह से 60 हजार रुपये का हरजाना भरा.

अब क्योंकि इस मामले में फोन ब्लॉक होने की बात हो रही है, हम आपको एक जरूरी बात बताना चाहेंगे जो इस मामले से तो जुड़ी है ही, साथ ही, आपके भी काफी काम आ सकती है. बात यह है कि Telecom Authority of India (TRAI) के कानून के हिसाब से अगर ग्राहक अपने किसी फोन नंबर से 90 दिनों तक फोन नहीं कर पा रहा है और रिचार्ज वैल्यू 20 रुपये से नीचे गिर गई है तो कंपनी को उन 90 दिनों के बाद ग्राहक को 15 दिननों का ग्रेस पीरियड देना जरुरी है. इसी ग्रेस पीरियड के खत्म होने के बाद कंपनी फोन नंबर को डीएक्टिवेट कर सकती है और नंबर किसी और को दे सकती है.

इस मामले में कंपनी ने ग्राहक को कोई वॉर्निंग नहीं दी और नंबर को अचानक ही ब्लॉक कर दिया जिससे यूजर को भारी नुकसान झेलना पड़ा.