बरेली. उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी पूर्व विधायक अशरफ का साला सद्दाम ही बरेली से लेकर प्रयागराज तक उसके गैंग का संचालन करता था। वह पहले भी प्रयागराज व अन्य शहरों में आपराधिक घटनाओं में शामिल रह चुका है। मजबूत नेटवर्क की वजह से ही वह पुलिस की आठ टीमों के हाथ नहीं आ रहा है।
अशरफ की पत्नी 12 भाई-बहन हैं। इनमें सद्दाम, अशरफ का सबसे करीबी है। राजू पाल हत्याकांड में नामजद होने पर जब अशरफ फरार था तो भी सद्दाम उर्फ अब्दुल समद उसकी मदद कर रहा था। अशरफ ने कुछ समय दिल्ली, हरियाणा और मुंबई में काटा था। इस दौरान सद्दाम ने उसकी मदद की।
जब प्रयागराज पुलिस को सद्दाम की सक्रियता का पता चला तो अशरफ को भगाने में मदद करने के आरोप में सद्दाम और उसके तीन अन्य भाइयों पर मुकदमा दर्ज कर उनको गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद फरार चल रहे अशरफ को भी प्रयागराज के हटवा स्थित उसकी ससुराल (सद्दाम के घर) से ही गिरफ्तार किया गया।
ससुराल से अशरफ की गिरफ्तारी के बाद उसका घर पीडीए ने अवैध बताकर ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद भी सद्दाम ने अशरफ का साथ नहीं छोड़ा और बरेली में रहकर उसकी मदद करता रहा। उमेश पाल हत्याकांड में नामजद अशरफ की मदद करने के आरोप में सद्दाम के खिलाफ बरेली में भी मुकदमा दर्ज किया गया है।
सद्दाम राजनीति में भी सक्रिय था और वह सोशल साइट्स पर अक्सर राजनीति से संबंधित मुद्दे उठाता रहता था। किसान बिल को लेकर भी उसने विरोध किया था। वह अक्सर सत्ताधारी पार्टी की नीतियों का विरोध कर रहा था। सपा नेता शिवपाल सिंह यादव व अन्य नेताओं के साथ उसके फोटो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। शिवपाल यादव ने जब सपा से अलग होकर नई पार्टी बनाई तो सद्दाम ज्यादा सक्रिय रहा था।
सद्दाम के अलावा शहर निवासी लल्ला गद्दी भी फरार है। वह गद्दी समाज के स्थानीय नेता के तौर पर उभरने के लिए सद्दाम के जरिये अशरफ के नजदीक आया था। इन्हीं संबंधों के सहारे वह सपा या विपक्ष की किसी अन्य पार्टी से मेयर का टिकट पाना चाहता था।