मेरठ। पेशाब में जलन हो। बिना दर्द खून आए तो इसे सिर्फ पथरी या साधारण बीमारी मत समझ लेना। यह मूत्राशय कैंसर हो सकता है। पश्चिम उप्र में मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, अमरोहा एवं बुलंदशहर के लोगों में यह कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। जिन क्षेत्रों में उर्वरक, रसायन एवं कीटनाशकों का ज्यादा प्रयोग किया गया, वहां कई मरीज मिले हैं। मूत्र रोग विशेषज्ञों ने बताया कि पश्चिम उप्र में प्रोस्टेट से ज्यादा अब मूत्राशय कैंसर के मरीज हैं। बीमारी देर से पता चल रही है।

मेडिकल कालेज के यूरोलोजिस्ट डा. सुधीर राठी ने बताया कि पश्चिम उप्र में पथरी, मूत्र मार्ग का संक्रमण एवं प्रोस्टेट के साथ ही गुर्दे की बीमारियां ज्यादा हैं। लेकिन धूमपान, कीटनाशक, उर्वरक, चमकीली मिठाइयां, कृत्रिम रंग, लेड, कैडमियम, क्रोमियम, मालिब्डेनम, आयरन, एल्मीनियम एवं फार्मेल्डिहाड से मूत्राशय कैंसर का ग्राफ बढ़ गया। ये रसायन खानपान से लेकर हवा तक में शामिल हैं।-ब्लैडर में देर तक रुकते हैं घातक रसायनविषाक्त तत्व शरीर में पहुंचकर मूत्राशय में देर तक रुकते हैं। ये रसायन म्यूकोसा को डिस्टर्ब कर कैंसर बना देते हैं। बाद में यह कैंसर लिवर समेत अन्य अंगों में फैलकर असाध्य बनता है।-ये उभरते हैं लक्षणहल्की जलन, बार-बार पेशाब जाना एवं बाद में खून आना खास लक्षण है। इस दौरान दर्द नहीं होता, जो कैंसर का संकेतक है। जांच में मरीजों की टीएलसी काउंट 15 से 25 हजार के बीच मिलती है।

बिना दर्द पेशाब में खून आना मूत्राशय कैंसर का सबसे बड़ा लक्षण है। तत्काल जांच कराएं। फैक्ट्रियों के आसपास रहने वालों में यह बीमारी ज्यादा मिली। अनुवांशिक कारण, धूमपान, गुर्दे या ब्लैडर की पथरी, रसायनयुक्त खानपान एवं नीम हकीमों से इलाज लेना भी बड़ी वजह है।

आर्सेनिक व धूमपान बड़ी वजह है। अगर परिवार में किसी को मूत्राशय का कैंसर है तो अन्य सदस्य भी रिस्क जोन में हैं। फैक्ट्रियों में काम करने वालों की हर साल पेशाब की जांच-साइटोलोजी एवं अल्ट्रासाउंड जांच होनी चाहिए। बीमारी का जल्द पता चले तो आधुनिक दवाओं से पूरी तरह इलाज संभव है।

तंबाकू, कृत्रिम रंग, पेंट, व औद्योगिक रसायनों से मूत्राशय का कैंसर बढ़ा है। किडनी भी खराब हो जाती है। रासायनिक रंगों के सीधे संपर्क में आने से बचें। खूब पानी पीएं। हल्दी, लहसुन, नींबू, खीरा, अंकुरित अनाज, संतरा, तिल एवं हरी सब्जियों का सेवन जरूर करें।