नई दिल्ली ।कोविड-19 महामारी की वजह से डिजिटल कार्य रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। खास बात है कि लोग ऑनलाइन रहने के शिकार हो गए हैं। साइबर सिक्योरिटी कंपनी नॉर्टनलाइफलॉक के वैश्विक अध्ययन के मुताबिक, 66 फीसदी यानी हर तीन में से दो भारतीय महामारी के कारण ऑनलाइन रहने की आदत के शिकार हो गए हैं।

अध्ययन में शामिल 74 फीसदी भारतीयों ने माना कि वे स्क्रीन के सामने जितना समय बिताते हैं, उससे उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है। 55 फीसदी का कहना है, इस आदत की वजह से उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।

नॉर्टनलाइफलॉक के भारत एवं सार्क देशों के निदेशक (सेल्स एंड मार्केटिंग) रितेश चोपड़ा का कहना है कि महामारी ने उन कार्यों के लिए स्क्रीन पर निर्भरता बढ़ा दी है, जिन्हें ऑफलाइन किया जा सकता है। हालांकि, हर व्यक्ति के लिए अपने ऑन स्क्रीन और ऑफ स्क्रीन समय के बीच एक स्वस्थ संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है ताकि स्वास्थ्य और उससे भी ज्यादा उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर न पड़े।

अध्ययन में घर पर रहने के दौरान उपभोक्ताओं के ऑनलाइन व्यवहार की समीक्षा की गई है। 1,000 से ज्यादा भारतीय वयस्कों पर द हैरिस पोल की ओर से किए ऑनलाइन अध्ययन में 82 फीसदी लोगों ने कहा कि शिक्षा और पेशेवर कार्य के लिए इस्तेमाल से अलग डिजिटल स्क्रीन के सामने बीतने वाला उनका समय महामारी के दौरान काफी ज्यादा बढ़ गया। भारत में एक वयस्क पेशेवर या शिक्षा कार्यों से अलग स्क्रीन पर हर दिन औसतन 4.4 घंटे गुजारता है। स्मार्टफोन वह आम उपकरण है, जिसके इस्तेमाल में वे काफी ज्यादा समय (84 फीसदी) गुजारते हैं।

चोपड़ा ने कहा कि ऑनलाइन परिदृश्य में साइबर खतरों की संख्या और प्रकारों में बढ़ोतरी हुई है। उपयोगकर्ताओं को इसका ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने कनेक्टेड उपकरणों का उपयोग कैसे और कहां करते हैं। सुविधा सुरक्षा से बढ़कर नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत या गोपनीय जानकारी के नुकसान के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। माता-पिता के लिए इस बात को जानना और अपने बच्चों को साइबर सुरक्षा की जरूरत के बारे में जानकारी देना महत्वपूर्ण है।