तालिबान अफगानिस्तान पर काबिज हो चुका है और निकट भविष्य में यहां की मुद्रा अफगानी के गिरने या अस्थिर हो जाने की चर्चाएं गर्म हैं। हालांकि संकट के बावजूद अभी तक मुद्रा स्थिर है। बता दें कि अफगानिस्तान अपनी करेंसी देश में नहीं बल्कि बाहर से छपवाता है। कैसी है अफगानिस्तान की करेंसी, कहां और किस तरह छपती है, आइए जानते हैं। 

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां बैंकों की हालत और करेंसी की स्थिति को लेकर भी भारी असमंजस की स्थिति है। लोग बैंकों से अपना पैसा निकालने के लिए परेशान घूम रहे हैं। अफगानिस्तान की मुद्रा का नाम अफगानी है। एक जमाने में यहां अफगान रुपया चलता था लेकिन 1925 के देश में नई करेंसी अफगानी शुरू हुई।

अफगानिस्तान की करेंसी को छापने और वितरण व नियंत्रण का काम केंद्रीय बैंक द अफगानिस्तान बैंक करता है। इसकी स्थापना 1939 में हुई थी। काबुल में इस बैंक का मुख्यालय है। पूरे देश में इस बैंक की 46 शाखाएं हैं। तालिबान के कब्जे के बाद से इस बैंक के प्रमुख का पद खाली है। तालिबान ने जब पिछली बार सत्ता पर कब्जा जमाया था, तब भी उसने अफगानी के प्रचलन को जारी रखा था। उस सम अफगानी का बहुत बुरी तरह से अवमूल्यन हुआ था। इस बार भी कुछ ऐसा ही अंदेशा है। 

अफगानिस्तान में एक अफगानी से लेकर 1000 अफगानी तक की करेंसी चलती है। ये मुद्रा अफगानी नोट और सिक्का दोनों रूप में उपलब्ध है। हर पांच साल में द अफगानिस्तान बैंक नए नोट छपवाता है, लेकिन ये नोट अफगानिस्तान में नहीं बल्कि बाहर छपते हैं। 

इंग्लैंड के बेसिंगस्टोक में दुनिया की सबसे बड़ी प्राइवेट करेंसी प्रिंटिंग प्रेस में अफगानिस्तान की मुद्रा छपती है। यहां दुनियाभर के 140 देशों की करेंसी छपती है। अफगानिस्तान की करेंसी फिलहाल यहीं छप रही है। 
80 के दशक में अफगानिस्तान की करेंसी रूस की एक कंपनी छापती थी लेकिन जब अफगानिस्तान में 2002 में हामिद करजई की अगुआई में नई लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ तो इसका जिम्मा ब्रिटेन की कंपनी को दे दिया गया। 

माना जाता है कि ब्रिटेन की ये करेंसी प्रेस ही अफगानिस्तान के नोटों का डिजाइन भी करती है। इसके सुरक्षा मानक बहुत मजबूत हैं। इसलिए नकली नोट बनाने या छापने की आशंका बहुत कम है। अफगानी नोट 01, 05, 10, 50, 100, 500 और 1000 की मुद्रा में छापे जाते हैं।  
 
अफगानिस्तान में फिलहाल भारी उथल-पुथल मची हुई है। लोगों में देश छोड़ने की होड़ है। एयरपोर्ट के बाहर लोगों का हुजूम है। इसका असर अब यहां की मुद्रा पर भी पड़ने की आशंका जताई जा रही है। बात करें भारतीय रूपये से तुलना की तो फिलहाल भारत के 100 रुपये 115 अफगानी के बराबर हैं।