भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के समर्थन में घनवट ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट सार्वजनिक कर साबित कर दिया कि वह केंद्र सरकार की ही कठपुतली थे। इसकी आड़ में इन बिलों को फिर से लाने की केंद्र सरकार की मंशा है तो देश में और बड़ा किसान आंदोलन खड़े होते देर नहीं लगेगी।

रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने इस समिति को सिरे से खारिज कर तीनों सदस्यों की मंशा पर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गोपनीय रिपोर्ट सार्वजनिक करना पहले अदालत का घोर अपमान है। इसके अलावा लग रहा है कि केंद्र सरकार इन बिलों को फिर से ला सकती है।

मध्य प्रदेश में मंडियों की जमीन निजी कंपनियों को बेचना यही इशारा करती है। यदि ऐसा हुआ तो फिर देशभर का किसान इस बार और जोरदार तरीके से आंदोलन खड़ा करने पर मजबूर होगा। हर राज्य में किसान को सड़कों पर आते देर नहीं लगेगी।