मेरठ। ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लेमीन (एआईएमआईएम) इस बार चुनाव में सपा-कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा हो सकती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुस्लिम बहुल सीटों पर एमआईएम मजबूत उम्मीदवारों की तलाश में है। पार्टी ऐसे चेहरों को तलाश रही है जिनकी न सिर्फ क्षेत्र में पकड़ हो बल्कि व दूसरे वोट भी हासिल करने की क्षमता रखता हों।
पिछले साल हुए मेयर के चुनाव में एमआईएम ने अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी अब लोकसभा चुनाव में न सिर्फ मेरठ बल्कि आसपास की मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने जा रही है। पार्टी एलान कर चुकी है कि वह यूपी की 20 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
नगर निगम के चुनाव में पार्टी न सिर्फ पार्षदों की छह सीट हासिल कर ली थी, बल्कि मेयर के चुनाव में सपा-रालोद गठबंधन और बसपा को पछाड़ते हुए एमआईएम का प्रत्याशी मोहम्मद अनस दूसरे नंबर पर रहे। मोहम्मद अनस को सवा लाख से ज्यादा वोट हासिल हुए थे। सपा-रालोद गठबंधन तीसरे और पिछली बार की विजेता बसपा चौथे स्थान पर रही थी। एआईएमआईएम का पूरा फोकस लोकसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल सीटों पर केंद्रित किया हुआ है। पार्टी को लगता है रालोद के पाला बदलने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा कमजोर हुई है, जिसका फायदा उठाया जा सकता है।
मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से मेयर चुनाव के उपविजेता मोहम्मद अनस एआईएमआईएम के सबसे मजबूत उम्मीदवारों में से एक हैं। उन्हें पार्टी ने लोकसभा प्रभारी भी बनाया हुआ है। वह अपनी तैयारी भी कर रहे हैं। हालांकि पार्टी के जिलाध्यक्ष इमरान अंसारी का कहना है कि कुछ अन्य दलों के नेता भी पार्टी के संपर्क में हैं।
सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी का नाम सामने आने के बाद ही एआईएमआईएम अपने पत्ते खोलेगी। गठबंधन द्वारा मुस्लिम या गैर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे जाने पर एआईएमआईएम की रणनीति अलग अलग रहेगी। इमरान का कहना है कि जनता ने मेयर चुनाव में 1.28 लाख वोट देकर यह बता दिया है कि आने वाला भविष्य एआईएमआईएम का है।
मेरठ-हापुड़ की तरह बिजनौर में भी एआईएमआईएम अपनी जमीन तलाश रही है। यहां पार्टी ने कारी साजिद अनवार को अपना प्रभारी बनाया हुआ है। वह क्षेत्र में वोटरों की नब्ज़ भी टटोल रहे हैं। खासकर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अपनी पैठ भी बना रहे हैं। बिजनौर के अलावा अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली जैसी सीटों पर पार्टी मजबूत प्रत्याशी तलाश रही है।