नई दिल्ली। देश भर में पुरानी पेंशन योजना को लेकर कई तरह की चर्चा चल रही हैं. इन सबके बीच में कई राज्यों में पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू किया जा रहा है. वहीं, कई राज्यों में इसको लेकर साफ मना कर दिया गया है. नई और पुरानी पेंशन पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि सरकारी खर्च में कमी आएगी, लेकिन भविष्य के लिए देनदारियां बढ़ जाएंगी.
रघुराम राजन ने इसके अलावा बैंकों को भी अलर्ट किया है कि रिटेल लोन पर बहुत अधिक झुकाव न किया जाए. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अलावा एक ऑनलाइन पोर्टल को दिए इंटरव्यू में राजन ने कहा है कि नई पेंशन योजना को अपनाया जाना सही है क्योंकि पुरानी पेंशन योजना में भारी देनदारियों बन गईं थी और इस समय जो भी राज्य पुरानी पेंशन योजना को अपना रहे हैं उनको आगे आने वाले समय में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
उन्होंने आगे कहा कि सरकारों के लिए परिभाषित लाभ योजनाओं को अपनाना आसान है क्योंकि देनदारियों को मान्यता नहीं दी जा रही है. इस समय राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब जैसी कई राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को अपनाया है, इसमें हिमाचल प्रदेश भी शामिल है.
राजन ने इंटरव्यू में आगे कहा कि हालांकि यह प्रत्येक राज्य सरकार को तय करना है, लेकिन इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से समाज के कमजोर वर्गों के लिए लक्षित किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें लाभ मिल सके.
आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने साक्षात्कार के दौरान भारतीय बैंकों को रिटेल लोन देने की दिशा में उनके बदलाव के प्रति आगाह भी किया, क्योंकि उन्होंने कहा था कि मंदी के मामले में संभावित जोखिम हो सकते हैं.
राजन की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारतीय बैंकों ने थोक लोन की तुलना में खुदरा संपत्ति में भारी उछाल देखा है. इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि बैंकों को इंफ्रास्ट्रक्चर लोन देने में शामिल सभी जोखिमों की जांच करनी चाहिए. पूर्व बैंकर ने कहा कि 2007 और 2009 के बीच, आरबीआई इंफ्रास्ट्रक्चर लोन की ओर बढ़ा था, हालांकि बाद में उसमें समस्याएं सामने आईं.