मुजफ्फरनगर. मुजफ्फरनगर के CO सिटी कुलदीप सिंह को कोर्ट से राहत मिली है। सीजेएम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के मुकदमे की विवेचना में अड़ंगा लगाए जाने के आरोप में सीओ के विरुद्ध परिवाद दर्ज करने के प्रार्थना पत्र को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया।
यह था पूरा मामला
मीरापुर निवासी कुशलवीर की पुत्री मोनिका की शादी गांव नन्हेड़ा निवासी पुलिस कांस्टेबल सचिन से 2018 में हुई थी। सचिन आजमगढ़ में तैनात है। आरोप है कि शादी के कुछ दिन बाद ही सचिन ने पत्नी मोनिका से 10 लाख रुपए अतिरिक्त दहेज में देने की मांग करते हुए उत्पीड़न करने लगा था। आरोप है कि 13 जुलाई 2020 को ससुराल वालों ने मोनिका को घर से निकाल दिया था।
इसके बाद मोनिका ने बेटी परी को जन्म दिया। आरोप है कि एक दिन सचिन बेटी परी को मोनिका से छीनकर नन्हेंड़ा ले गया। इसके बाद सचिन के विरुद्ध कोर्ट के आदेश पर दहेज उत्पीड़न और अन्य गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज हुआ।
सीओ पर विवेचना में हस्तक्षेप का था आरोप
कुशलवीर ने एसएसपी को एक प्रार्थना दिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि कोर्ट के आदेश पर थाना भोपा में सचिन आदि के विरुद्ध दर्ज दहेज उत्पीड़न के मुकदमे की विवेचना में सीओ सिटी कुलदीप सिंह अड़ंगा लगा रहे हैं। आरोप था कि सीओ सिटी सचिन का रिश्तेदार होने के कारण ऐसा कर रहे हैं। इसके बाद उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से सीजेएम कोर्ट में 156/3 सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल कर सीओ के विरुद्ध इस मामले में परिवाद दर्ज कराने का आदेश दिए जाने की गुहार लगाई थी।
आरोप था कि सीओ सिटी कुलदीप सिंह से जब वह उनके कार्यालय पर जाकर मिला था, तो उन्होंने उसे कई घंटे तक अवैध हिरासत में रखा। साथ ही उसे धमकी दी गई कि मामले में समझौता कर लिया जाए। अन्यथा उसकी पुत्री मोनिका को कई बड़े मामलों में फंसा दिया जाएगा।
सीजेएम कोर्ट ने खारिज किया प्रार्थना पत्र
सीओ सिटी कुलदीप सिंह के विरुद्ध दिए प्रार्थना-पत्र पर सीजेएम कोर्ट ने सुनवाई की। सुनवाई के बाद व्यवस्था दी कि 195 सीआरपीसी के प्रावधानों के अनुसार, यदि विवेचक द्वारा उसके पदीय दायित्वों के निर्वहन में किए जा रहे कार्य में उच्चाधिकारी कोई हस्तक्षेप करता है, तो विवेचक या उसके उच्चाधिकारी परिवाद दर्ज करा सकते हैं।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने यह भी सवाल उठाया कि सीओ सिटी पर आरोप लगाते हुए जिस घटना का जिक्र प्रार्थना पत्र में किया गया, उसके डेढ़ माह बाद एसएसपी को उसकी शिकायत की गई। सीजेएम मनोज कुमार जाटव ने दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद परिवाद दर्ज कराने का आदेश देने से इंकार करते हुए प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।