सोनीपत। किसान आंदोलन वापस लिए जाने के एक दिन बाद ही नया विवाद खड़ा हो गया है। एमएसपी गारंटी कानून बनने तक आंदोलन जारी रखने के लिए संयुक्त किसान माेर्चा पर दबाव बनाने के लिए पांच दिसंबर से भूख हड़ताल पर बैठे कुछ किसानों ने आंदोलन समाप्त करने पर एतराज जताते हुए मोर्चा के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं
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मुख्य मंच के पास ही भूख हड़ताल कर रहे इन किसानों का कहना है कि न तो एमएसपी गारंटी कानून मिला है और न ही किसानों के केस वापस हुए हैं। ऐसे में आंदोलन वापस किस दबाव या लालच में लिया गया, यह सभी समझते हैं। मुख्य मंच के पास भूख हड़ताल पर बैठे सतनाम सिंह, बिक्रमजीत सिंह, सुखबीर बिचपड़ी आदि ने कहा कि शुरुआत से ही उनकी मांग कृषि कानूनों की वापसी व एमएसपी गारंटी कानून की रही है। इन्हीं मांगों को लेकर किसान सालभर से आंदोलनरत हैं।
कानून हुए वापस लेकिन नहीं एमएसपी पर मिला है सिर्फ आश्वासन
कानून वापस हो गए, लेकिन एमएसपी गारंटी कानून नहीं मिला, केवल आश्वासन मिला है। यही नहीं, किसानों पर दर्ज केस भी वापस लिए जाने का केवल आश्वासन मिला है। वास्तव में इनमें से अभी तक कोई मांग पूरी नहीं हुई है। केस वापस लेने के बाद ही धरने से उठने का दावा कर रहे किसान नेता आखिर अचानक कैसे बदल गए, यह बड़ा सवाल है। उन्हें शक है किसान नेताओं ने कुछ गुप्त डील की है।
धोखा देने का लगाया आरोप
उन्होंने कहा कि वे किसान नेताओं से सवाल करेंगे कि आखिर क्या जल्दी थी कि मांगें पूरी हुए बिना ही आंदोलन वापस ले लिया गया। उन्हाेंने किसान नेताओं पर किसानों के साथ धोखा करने का आराेप लगाते हुए उनका विरोध करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही कहा कि वे यहीं बैठकर विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे।