शामली। इस साल गन्ने का कम उत्पादन और सहारनपुर जिले में दो नई चीनी मिले चालू होने से नए पेराई सत्र के लिए वेस्ट यूपी के चीनी मिलों के सामने गन्ना का संकट पैदा हो सकता है। शामली जिले की चीनी मिलों द्वारा किसानों का बकाया गन्ना भुगतान न किए जाने से सहारनपुर, मुजफ्फरनगर जिले की चीनी मिलों की निगाहें शामली की चीनी मिलों के खरीद केंद्रों पर टिक गई हैं।

गन्ना विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो सालो में गन्ने का रकबा घट रहा है। गन्ने का रकबा घटने का का कारण गन्ने में बीमारी होना बताया जा रहा है। इस साल शामली जिले में गन्ने का रकबा तीन प्रतिशत से लेकर पांच प्रतिशत घटा है। पिछले कई सालो से जिले की चीनी मिलें भी किसानों का गन्ना भुगतान करने में पिछड़ रही है। संपूर्ण गन्ना भुगतान न करने पर जिले के किसान शामली, थानाभवन, और ऊन चीनी मिले से नाराज है। नए सत्र 2023- 24 के लिए किसान अपना गन्ना इन चीनी मिले को न देकर दूसरे जिले की खतौली, तितावी और अन्य चीनी मिलों को देने की मांग कर रहे हैं।

शामली गन्ना समिति कार्यालय में किसानों का पिछले सात दिनों से बेमियादी धरना चल रहा है। जिसमें किसान अपना खरीद केंद्र बदलकर दूसरे जिले की चीनी मिले को दिए जाने की मांग कर रहे हैं। दो दिन पूर्व शामली गन्ना समिति की गन्ना सुरक्षण बैठक में किसान शामली जिले की चीनी मिलों को गन्ना न दिए जाने का अपना फैसला सुना चुके है। भाकियू अराजनैतिक की ओर कलक्ट्रेट में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन में शामली जिले की चीनी मिलों के गेट को छोड़कर दूसरे मिलों को खरीद केंद्र आवंटित किए जाने के मुद्दे पर डीसीओ विजय बहादुर सिंह किसानों से खरीद केंद्र कटवाने के लिए प्रस्ताव मांग चुके हैं। हालांकि शामली जिले का गन्ना शेरमऊ चीनी मिल और मुजफ्फरनगर जिले के बजाज की भैसाना, तितावी और खतौली और बागपत जिले की रमाला चीनी मिल को पहले से ही आपूर्ति किया जा रहा है।

दूसरी सहारनपुर जिले में गन्ने का रकबा कम होने से सहारनपुर जिले की देवबंद, बिडवी, शाकंभरी देवी चीनी मिल को भी गन्ने की ओर आवश्यकता पडेगी। गन्ने की कमी के चलते नए पेराई सत्र में गन्ने का संकट खड़ा हो जाएगा। निजी चीनी मिलों को अपना पेराई सत्र संचालित करने के लिए ज्यादा मूल्य पर गन्ना खरीदने को मजबूर होना पड़ सकता है। शामली गन्ना परिषद के पूर्व चेयरमैन राजवीर सिंह का कहना है कि सहारनपुर, शामली और मुजफ्फरनगर जिलों में कम गन्ना हुआ है। फरवरी के बाद चीनी मिल 400 रुपये क्विंटल गन्ना खरीदने के लिए मजबूर हो जाएंगी। संवाद

डीसीओ विजय बहादुर सिंह का कहना है कि शामली जिले में पांच प्रतिशत गन्ना कम हुआ है। दूसरा गन्ने में चोटी बेधक और लाल सडन रोग और 0238 गन्ना प्रजाति प्रभावित हुई है, दूसरी ओर सहारनपुर जिले में सालो से बंद चल रही बिडवी और शाकंभरी टोडरमल चीनी मिल नए पेराई में चालू होने से सहारनपुर जिले की दूसरी चीनी मिलों के सामने गन्ने का संकट पैदा सकता है। तीन साल पूर्व शामली चीनी मिल के पास 45 खरीद केंद्र थे। पिछले साल सिर्फ 29 खरीद केद्र रह गए है।

चीनी मिलों के लिए गन्ना खरीद केंद्र आवंटन गन्ना आयुक्त लखनऊ को होता है। पहले गन्ना सहकारी समिति स्तर पर खरीद केंद्र बदलने के लिए डेलीगेट संचालक बोर्ड बैठक में प्रस्ताव करते हैं, उसके बाद डीसीओ के माध्यम से गन्ना आयुक्त गन्ना सुरक्षण बैठक मंडलवार इस पर चर्चा कर फैसला लेते हैं।