मुजफ्फरनगर। शहर सीट भाजपा की सबसे मजबूत सीट मानी जाती है। लेकिन इस बार शहर सीट यहां रालोद प्रत्याशी से कांटे के मुकाबले में फंस गई है। भाजपा का भीतरघात आश्चर्यजनक परिणाम सामने ला सकता है। कांग्रेस और बसपा प्रत्याशी को मिलने वाले वोट भी यहां हार-जीत में बड़ी भूमिका निभाएंगे।

2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के कपिलदेव अग्रवाल यहां सपा के गौरव स्वरूप से जीते थे। इस बार फिर से राज्य मंत्री कपिलदेव अग्रवाल मैदान में है। कपिलदेव का चितरंजन स्वरूप के परिवार से चौथा मुकाबला है। इस बार रालोद प्रत्याशी के रूप में सौरभ स्वरूप मैदान में है। सौरभ ने कपिल को चुनाव में कड़ी चुनौती दी है। सौरभ को इस चुनाव में कपिल के अंदरूनी विरोध का लाभ मिलता दिखाई दे रहा है। इस सीट पर 3,56,283 वोट है, जिनमें से 2,21,982 ने अपने मत का प्रयोग किया है।

हार-जीत एक लाख के लगभग ही होगी। चुनाव में बीजेपी और रालोद के बीच कांटे का मुकाबला रहा है। भाजपा का भीतरघात इस चुनाव में आश्चर्यजनक परिणाम दे सकता है। इसी के साथ बसपा के पुष्पांकर पाल और कांग्रेस के सुबोध शर्मा को मिलने वाले वोट भी हार-जीत में बड़ी भूमिका निभायेंगे। भाजपा और रालोद की हार-जीत को लेकर राजनीतिक विश्लेषक अपने समीकरण जोड़ने में लगे हैं।