लखनऊ। योगी सरकार में मंत्री बनाए गए अनिल कुमार का राजनीति का सफर कैसा रहा। जानिए परिवार से लेकर उनके बारे में सबकुछ।
मंत्री बनाए गए अनिल कुमार ने राजनीति का सफर ननिहाल के गांव कसियारा से शुरू किया। मामा जसवीर सिंह गांव के प्रधान और रोहाना गन्ना समिति के चेयरमैन रहे। दो दशक पहले अनिल कुमार यहीं से बसपा की राजनीति में सक्रिय हुए और पहली बार चरथावल से 2007 में टिकट मिलने के बाद विधायक चुने गए थे।
मंत्री अनिल कुमार मूल रूप से सहारनपुर के गांव तहारपुर के रहने वाले हैं। उनकी माता भगवानदेई का मायका चरथावल क्षेत्र के गांव कसियारा में है। मामा जसवीर सिंह क्षेत्र के राजनीति में सक्रिय रहे हैं। ननिहाल में आने जाने के दौरान अनिल कुमार का रुझान भी राजनीति की तरफ बढ़ा। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर उमा किरण चुनाव जीतीं और मंत्री बनाई गई। अनिल कुमार उनकी युवा टीम में शामिल रहे। मंत्री बनाए जाने के बाद ननिहाल के गांव में भी खुशी का माहौल है।
ममेरे भाई मोनू ने बताया कि मंत्री अनिल कुमार के पिता सेल टैक्स विभाग में रहे और माता भगवानदेई गृहणी थीं। तीन भाईयों में वह सबसे बड़े हैं। दूसरे नंबर पर पंकज और तीसरे सुनील है। बहन सुनीला, रंजना और मोनिका है। उनकी शादी मेरठ से हुई और पत्नी वीरमति गृहणी है। बड़ी बेटी सिमरन बीकॉम कर रही हैं, जबकि दूसरी बेटी आस्था कक्षा नौ की छात्रा हैं।
रालोद कोटे से पहली बार मंत्री पद के नवाजे गए अनिल कुमार को हर दल रास आया। एक बार छोड़कर राजनीति राजनीति में उनकी किस्मत चहकती रही। पूर्व प्रधान विनय गुप्ता बताते है गांव में ननिहाल होने के कारण लोगों के सुख दुख में वह हमेशा शामिल रहते है। चरथावल क्षेत्र उनकी राजनीति की कर्मभूमि है। उनके मंत्री पद पर शपथ लेने से क्षेत्र का रुतबा बढ़ना स्वाभाविक है। उनका कद बढ़ने से क्षेत्र का विकास में चार चांद लगेंगे।