नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों को लेकर पिछले करीब पांच महीने से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के कार्यकर्ता अभी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि वे आंदोलन तब तक जारी रखेंगे जब तक सरकार तीनों कानूनों को वापस नहीं ले लेती है। आंदोलन कारी यहां जमे रहेंगे और अपनी बात सरकार तक पहुंचाते रहेंगे।

इस बीच आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश सिंह टिकैत ने हाल ही में अपने ट्विटर एकाउंट से एक ट्वीट किया कि “किसानों को एफसीआई के गोदामों को भी तोड़ना पड़ेगा।” इस ट्वीट को लेकर जब टाइम्स नाऊ के पत्रकार ने उनसे पूछा तो वे अपने बयान से साफ मुकर गए। कहा कि एफसीआई के गोदाम नहीं, प्राइवेट गोदामों को तोड़ना पड़ेगा। कहा कि सरकार नहीं मानेगी तो जिन गोदामों में अनाज भरा है, उसको तोड़ना पड़ेगा। जब महंगाई बढ़ेगी, लोगों को खाना नहीं मिलेगा तो भूखी जनता क्रांति करेगी। जनता भूख से मरेगी। भूख के आधार पर रोटी की कीमत तय होगी।

गुजरात की राजधानी का घेराव करने का आ गया है वक्त, जरूरत पड़ी तो तोड़ डालेंगे बैरिकेड- राकेश टिकैत की धमकी
कहा कि सरकार उनको बचाएगी, लेकिन हम गोदामों से जितना अनाज होगा उसको निकालेंगे। जनता को गोदाम तोड़ने ही पड़ेंगे। एक दिन ऐसा आएगा। उन्होंने कहा कि एफसीआई में हमले करने की योजना नहीं है। बाद में किसान नेता ने अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया।

उधर, बुधवार को सहारनपुर में उन्होंने कहा कि तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को सरकार कमजोर नहीं समझे और यह आंदोलन अब धीरे-धीरे पूरे देश में फैल रहा है। टिकैत ने यहां पत्रकारों से कहा कि जब तक तीन नये कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘किसानों के आंदोलन का निष्कर्ष तो सरकार को निकालना है, हमारा काम तो आंदोलन करना है। सरकार किसानों को कमजोर नहीं समझे। सरकार को इन तीनों कानूनों को वापस लेना होगा।’’

आंदोलन स्थलों को किसानों का घर बताते हुए टिकैत ने कहा कि किसानों ने इन स्थलों पर ही अपने घर बना लिये है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।