नई दिल्ली। देश भर में आईएएस ऑफिसर बनने का ख्वाब ना जाने कितने ही लोग देखते होंगे, लेकिन इस ख्वाब को पूरा बेहद कम लोग ही कर पाते हैं. सिविल सर्विसेज में एक आईएएस ऑफिसर की रैंक सबसे बड़ी और सम्मानिय होती है. इसलिए यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा देने वाला हर उम्मीदवार चाहता है कि वो इस परीक्षा को पास कर आईएएस ऑफिसर बने, लेकिन ये इतना आसान नहीं है. हर साल केवल 180 उम्मीदवार ही आईएएस ऑफिसर का पद हासिल करने कामयाब हो पाते हैं. हालांकि, आज हम आईएएस ऑफिसन बनने की नहीं बल्कि आईएएस के पद को छोड़ने की बात पर चर्चा करने वाले हैं.

हमारे देश में कहा जाता है कि एक आईएएस बनना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल होता है आईएएस का पद छोड़ना. आईएएस के पद से रिजाईन करना इतना आसान नहीं होता है. इसका एक सबसे अहम कारण यह है कि जब कोई आईएएस अपनी मर्जी के इस्तीफा देता है, तो उसका इस्तीफा इतनी आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता है. इसके अलावा बता दें कि जो ऑफिसर अपनी सर्विस के दौरान अच्छा काम करते हैं, उनका इस्तीफा मंजूर होना और ज्यादा मुश्किल होता है. ऐसा इसलिए भी है, क्योकि सरकार अपने होनहार और काबिल ऑफिसर को खोना नहीं चाहती और वो चाहती है कि ऐसे अफसर सर्विस में रहकर समाज के लिए ज्यादा से ज्यादा काम करे.

इसका एक जीता-जागता उदाहरण है – आईएएस कन्नन गोपीनाथन, जिन्होंने अपने निजी कारणों का वजह से सर्विस से इस्तीफा तो दे दिया था, लेकिन काफी लंबे समय तक उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया था. इसका सबसे अहम कारण यह था कि उन्होंने इस्तीफा देते वक्त सर्विस छोड़ने का कोई ठोस कारण नहीं दिया था.

वहीं बात करें एक आईएएस द्वारा इस्तीफा देने के बाद दोबारा सर्विस जॉइन करने की, तो यह कर्मचारी के किए गए कार्यों और सरकार के ऊपर निर्भर करता है. आईएएस कन्नन गोपीनाथन ने केरल में आई बाढ़ के समय काफी सराहनिय काम किया था, जिस कारण उन्हें दोबारा सर्विस जॉइन करने के लिए कहा गया था. हालांकि, उन्होंने सर्विस जॉइन करने से मना कर दिया था. लेकिन एक आईएएस सरकार की मर्जी से दोबारा सर्विस जरूर जॉइन कर सकता है.